पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४१

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मुझे तो अंता लगता रहता है कि दस-बीस अपवास कर डालें तो वैसा अच्छा ? और जब यह त्रियोंवाला किस्सा हुआ, तब तो मुझे लगा कि यह अच्छा मौका हाथ आया है। मगर वह प्रकरण तो खतम हो गया। फिर भी मुझे यह जरूर लगता है कि जितने अपवास करूँ, तो शरीरमें फिर स्फूर्ति आ जय।" अिस तरह उपवास करनेका अवसर आये, तो बापू सुसका स्वागत फर लें। यानी कभी अपवास करनेकी तीन अिच्छाके कारण अपवासके मंयोग न होने पर भी असा होना सम्भव है कि बापू अपवास कर दालें । मैं तो सचमुच काँप ही झुठा । मैंने अपना डर वापके सामने नहीं रखा। काका, प्रभुदास और जमनालालजीकी तन्दुरस्तीके बारेमें हालचाल जाननेके लिये आजी० जी० पी० को लिखा और कैदियोंके साथ पत्र-व्यवहार करनेकी अिजाजत माँगनेका पन भी लिखा । हमारे कुकरकी दाल जल गयी, अिस पर वापूने कहा कि झुमके कारणोंकी जाँच करो। यह तो स्पष्ट ही है कि पानी थोड़ा था। मगर बादमें वापूने अपने स्वभावके अनुसार असकी बनावटके यारेमें सवाल किये । अन्ोंने कहा कि उन्होंने खुद यहाँ १९३० में अक कुकर बनवाया था मगर वह तो कोसी झुठा ले गया । फिर मेरे कुकरकी रचना देखकर कहने लगे -~नीचेवाले दालो वर्तनमें दाल डालनेके बजाय सिर्फ पानी ही रखो और दाल अपरले वर्तनसे शुरू करो, यानी तीन बर्तनोंको काममें लेनेके बजाय नासा अपयोग करो और सबसे नीचेवाले वर्तनकी भापसे सब कुछ पकाओ।" पलभमानी बोले "पानी मुझे अच्छी दाल मिलने मिलने चार पाँच दिन ती शिन प्रयोगोंमें भी बीत जायेंगे ।" मुझे यापूका सुझाव अच्छा लगता है सो प्रयोग करनेश भिरादा रखता है। y X X . आम आग युनियानिटी मेगा मेरे पास आत्मफया के बालोपयोगी गंगार पुक आये। यापू शुन् पाने लगे और उनमें बहुतसे सुधार करने लगे पाने Fors Clavigera (फॉर्म लेविगेरा) भी परना शुरू किया । लिन किन आया है कि आश्रमको हर हफ्ते मेनी रोगा बानगी मिलेगी। आ गमय अपवार नदी या, भिनलिमे याने होने लगी। मनाया। गार अामा जय या गुन्द टाकत भारत दर गया, यि लिया करते रहते कि