पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/४०

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बार बार बच्चोंके सामने रखनेमें मुझे श्रेय नहीं दिखता। यह सम्भव है कि अस कामकी बुराभीको तो वे भूल जायें और यह असर अनके दिलों पर रह जाय कि बड़े आदमियोंने किया था अिसलि हम भी कर सकते हैं। अिसलिओ यह भी ठीक नहीं लगता कि जिस तरहके प्रसंगोंको चुन चुनकर निकाल दिया जाय और फिर उनके नाटकोंको बच्चोंसे खेलाया जाय । मुझे असा लगता है कि हमारे सारे नाटक दूसरी ही तरहके होने चाहिये, जैसे रवीन्द्रनाथका 'मुक्तधारा'; और अभी मैंने मैथिलीशरण गुप्तका 'अनप' पड़ा । वह बहुत अच्छा है और बच्चोंके सामने रखने लायक है । असकी हिन्दी सरल और बड़ी मीठी है, तथा भाव अत्तम हैं। '

अमरीकी लोगोंको गुण वर्णन करनेके लिझे भी नमक मिर्च लगाये बिना सन्तोष नहीं होता, भिसका प्रमाण मिल्स-जैसे सहृदय सम्बाददाताके विवरणसे मिलता था । अक और अदाहरण आज पहे गये अक लेखमें मिलता है : "When a customs official at Marseilles, France, asked him whether he had any cigarettes, cigars, firearms, alcoliol or narcotics in his luggage, he replied in the negative. Nevertheless the travelling cquipment was examined. It proved to consist of: 3 spg. wheels, 3 looms, 1 can goats' milk, 1 package dried raisins, 1 copy Thoreau's Civil Dis- obedience, 1 set false teeth, 6 dicepers." " मार्सेल (फ्रांस)के जकाती कर्मचारीने अनसे पूछा कि आपके सामानमें सिगरेट, सिगार, गोलाबारूद, पीनेकी शराब या और कोमी नशेकी चीज तो नहीं है ? अिस पर गांधीजीने नकारमें जवाब दिया । फिर भी अनके सामानकी जाँच की गयी। असमेंसे निकला क्या ? ३ चरखे, ३ करघे, १ बकरीके दूधका कनस्तर, १ सुखे अंगुरकी पुडिया, १ थोरोकी ‘कानूनका विरोध करनेका फर्ज' नामकी पुस्तक, १ बनावटी दाँतोंकी जोड़ और ६ खादीके थान।" कितना सच्चा चित्र है ! जिससे पाठक भुलावेमें पड़ जाय और मान लें कि बिलकुल ही सच होगा! लेकिन अिसमें शुरूसे अखीर तक अक भी बात सच्ची नहीं ! आज बाकी अक बातसे हम चीके - वल्लभभाभी और मैं दोनों । बापू कहते थे कि थकावट अभी मिटती नहीं, शरीरमें जिस स्फूर्तिकी आशा रखता हूँ, वह मालूम नहीं होती। जिस पर वल्लभभाी बोले खजूर खाना छोड़ा अिसलि । आप अच्छी तरह खाते नहीं । खजूर मँगाअिये, मँगाअिये । खाये बिना कैसे स्फूर्ति आये १" बाप बोले. " तुम्हें सच कहूँ ? ३५ $4 फल