पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३८०

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है। अक सिद्धान्त यहाँ बता देना चाहिये -"तुम्हारा यह लिखना ठीक है कि जो विश्वासपात्र नहीं है, अस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। मेरे लिखनेका हेतु यह था कि हम किसीको शककी नजरसे न देखें । जैसे हम यह चाहते हैं कि दुनिया हमारी बात पर विश्वास रखे, वैसे ही हम भी दूसरेकी बात पर विश्वास रखें। वह विश्वासपात्र सारित न हो तो पछतायें नहीं । विश्वास रखनेवालोंने दुनियामें आज तक कुछ भी नहीं खोया और विश्वासघात करनेवाले करोड़ों रुपया पानेकी कोशिश करनेमें खोते ही हैं। हमारी आत्मा मैली हो जाय तो हमने खोया ही। धन दौलत तो आती जाती ही रहती है। चली जाय तो रंज हरगिज न करें।" मेरी जमीनका लागान चुकानेके हालातका चित्र मगनभाीके पत्रमें आया । कहाँ मेरा कमजोर गाँव और कहाँ बोरसदका रास! पेन्शनियोंको सरकारने कैसा गुलाम बना दिया है, यह अिस मौके पर देखा गया। जिस सारे तंत्रकी अक अक चीज बारीकीके साय देखें, तो वह तंत्रको यावच्चन्द्रदिवाकरी कायम रखनेके लिभे और लोगों पर गुलामी खुबसूरत रूपमें कायम रखनेके लिभे रची गयी है । यापूको, वल्लभभाभीको और मुझे गालियाँ देनेवाला कलेक्टर हमारी जातिका ही आज साम्प्रदायिक निर्णय आ गया । बापू शाम तक भिस तरह रहे जैसे कुछ हुआ ही न हो । मुझसे बाजरेकी रोटी बनवाी और १७-८-३२ असे बहुत चावसे खाया। दोपहरको मशीनसे बादामका मक्खन भी बनवाया । शामको घूमते समय हानिमैनका लेख पदा । वह पसन्द आया । सुबह बातों ही बातोंमें कहीं कहीं ये वाक्य निकलते थे " अल्पमतवालोंके समझौतेमें जो कुछ था वही किया है । बेन्थलके पत्रमें जो था वही हो रहा है ।" मैंने कहा - " यह नया विधान मॉण्टफोर्डके सुधारोंसे भी ज्यादा भद्दा है ।" बापू ---." अिसमें कोभी शक ही नहीं । पिछले सुधारोंमें हमारे लखनके समझौतेको आधार बनाया गया था। लेकिन अिस बार तो असी फूट डाली है और अिस तरह छिन्नभिन्न करनेका जाल रचा गया है कि फिर देश झुठ ही न सके ।" शामको प्रार्थनासे पहले कहा "अच्छा, अब तुम और वल्लभभाभी सोच लो । 'मुझे जो कहना है कह दो। सेम्युअल होरको लिखा गया पत्र अिस पर लागू होता है, अिसलिओ अब हमें चेतावनी देनी पड़ेगी !" मैं चौंका । चुप रहा । हमें भी असा तो लगता ही 'अबकी टेक हमारी' भजन गाया, और आश्रमकी आयी हुी डाक पकना शुरू कर दिया । . CC - । था।