पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३६

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. मगर नहीं, अधिकाधिक अद्यम होना चाहिये । कोशिश थोड़ी भले ही हो, परन्तु वह चेकार कभी नहीं जाती। यह भगवानको प्रतिशा है । अिसलिमे हमारा विरह- दुःख भी आनन्ददायक हो जाना चाहिये । क्योंकि हमें विश्वास होना चाहिये कि किसी न किसी दिन साक्षात्कार हुओ विना नहीं रहेगा । पिछले सोमवारको लिखे पत्रोंमेंसे अकका जिक्र करना रह गया था। जिस खतमें बापूने अक नया विचार रखा था । हिन्दुस्तान सबसे २३-३-३२ प्यारा देश क्यों है ? जिसका कारण यह नहीं कि यह मेरा है, यल्कि यह है कि अिसमें सबसे ज्यादा अच्छापन मालूम हुआ है। यह सच है कि गौरवशाली होने पर भी वह गुलाम रहा है, मगर यह भी असकी अच्छामी है । दूसरे किसी देशको गुलाम बनानेके बजाय वह खुद गुलाम रहा है। और जालिम और गुलामके बीच चुनाव करना हो, तो गुलामकी हालत ज्यादा पसन्द करने लायक है। स्पष्ट है कि यह सारा विचार अहिंसासे फलित होता है। अहिंसाका अक और नमूना लीजिये । जब वल्लभभाभी सुपरिटेण्डेण्टकी हँसी मुड़ाते हैं, तब बापू कहते हैं . " नहीं वल्लभभाभी, आप अन्याय करते हैं । झुनका दोष नहीं । अनसे जो कुछ बन पड़ता है, सब करते हैं । आजका किस्सा बहुत परीक्षाका बन गया। बापूको जिस दिन कैदियोंसे मिलनेकी अिजाजत मिली, असी दिन स्त्रियोंसे मिलनेकी माँग की गयी थी। सुपरिप्टेण्डेण्ट भड़क गये थे। आखिर पत्र लिखनेकी मंजूरी वे अपने अफसरसे ले आये थे। यह पत्र बापूने लिखा था, फिर भी अन्होंने कहा कि मैं देना भूल गया। असलमें वे भूले नहीं थे, मगर वहाँ अनशन हो गया था, अिसलिये वहाँ गये ही नहीं थे। अितनेमें ही अचानक गंगाबहन झवेरी मुलाकातके लिअ आ पहुँचीं । वे नानीबहनसे मिलकर आयी थीं । अनसे अनशनका ज्यादा हाल मालूम हुआ । सुपरिष्टेण्डेण्ट वहाँ जानेसे अिनकार करते हैं, क्योंकि वे कहते हैं कि ये लोग अनशन छोडें तभी जा सकता हूँ । यह बात बापूको बेहूदी लगी और आज अन्हें मिठाससे ही सही, बहुत कड़ी बात कहनी पड़ी। उन्होंने सुपरिण्टेण्डेण्ट कहा कि मैं आपका अफसर हो, तो आपको अिसी बात पर मुअत्तिल कर दूँ । वह सुनता रहा। असने जानेका तो मन या वेमनसे अिरादा जाहिर किया, मगर शाम तक, रात तक जवाब नहीं आया । मुझे अिस आदमीकी जड़ता पर आश्चर्य हुआ। बापूने कहा देशी सुपरिण्टेण्डेण्टके साथ लड़नेका प्रसंग भी मेरे नसीबमें लिखा होगा ? खैर, लिखा होगा तो देख लूँगा ।" आज तक असके बारेकी रायमें जो सहिष्णुता थी, वह अहिंसाका नमूना था। आजकी कढ़ासी सत्याग्रहका और सामनेवालेमें धर्मजाग्रति पैदा करने की सुत्कंठाका नमूना था । .