पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३५८

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Maganlal's studies. Maganlal will know. I feel that I am not by his people's side at the present moment. But not my will, let His be done, now and for ever." " डॉ० मेहता चल बसे । मैंने अपना अम्रभरका वफादार मित्र खो दिया। वैसे मेरे लिओ वे जीते-जीसे भी मरनेके बाद ज्यादा जीवित हैं, क्योंकि अब मैं अनके तमाम अच्छे गुणोंको ज्यादा याद करूँगा । यह स्मरण अक पवित्र थाती है । मगनलालके नामका पत्र मिसके साथ भेजता हूँ। मैं चाहता हूँ कि तुम असे पिताके योग्य बनने में पूरी मदद दो। मैंने असे सलाह तो दी ही है कि चिन्ता न करे और पढ़ाअीमें लगा रहे । कितने ही समयसे डॉ. मेहता शरीरसे जर्जर हो गये थे, फिर भी अनकी शुरूकी व्यवहारदक्षता ज्यों की त्यों बाकी थी । अिसलि अन्होंने मगनलालकी पढ़ाीके लिओ सपयेका अिंतजाम किया ही होगा । मगनलाल जानता होगा । मुझे दुःख है कि अिस समय मैं सुन लोगोंके बीच नहीं हूँ। मगर मेरा सोचा हुआ नहीं, सदा असीका सोचा - हुआ होवे ।" . > आज घरसे पत्र आया । असमें लगान चुका देनेके हालात बताये हैं। जानकर निश्चिन्त हुआ। अलबत्ता चिट्ट पैदा हुभी और दुःख भी हुआ । मगनभाीके यहाँसे गाय, भैंस, कुदाली, फावड़े वगैरा सब कुछ जब्त कर लिया । घरसे किताबें, आल्मारी वगैरा ले गये, और अिच्छा तया मगनभाभीको सारे दिन डेरे पर बिठा रखा और गालियाँ दी! यह नहीं देखा गया, अिस- लिमे गाँवमेंसे किसीने रुपया जमा करा दिया । कहते हैं कि अिच्छा बहुत घबरा गयी है । जरूर घबरायेगी, क्योंकि जैसी बातोंका असे अनुभव नहीं है । मुझे तो यह जानकर अच्छा ही लगा कि लोगों पर पड़नेवाले दुःखमें अिस तरह सक्रिय भाग लिया जा सका । "कोठावाला जहाँगीरसे क्या कम है?" मैंने कहा "बड़कर है । वह तो जाहिल और मूर्ख था और यह तो पढ़ा लिखा कहलाता है।" रातको सोते समय बापू कहने लगे ज्ञान भी अितना ज्यादा पक्का होनेकी जरूरत है कि बुद्धिसे .मनको मनानेका थोड़ा ही असर हो । जानते हैं कि डॉक्टरको जीना नहीं था, वह शरीर नाश होने लायक था और असका नाश हो गया। फिर भी अितनी बेचैनी किस लिभे? मैंने कहा "अपने प्रिय- जनोंकी या जिनके साथ वर्षों निकट सम्बन्धमें बीते हों झुनकी मौतका समाचार सुनकर यदि अनका स्मरण बार बार होने लगे तो अिसमें अस्वाभाविक क्या है ?" बापू बोले -" स्मरण तो हो परन्तु दुःख किस लिओ हो ? मौत और शादीमें किस लिओ फर्क होना चाहिये ? विवाहका प्रसंग याद करके आनन्द ही आनन्द होता है, वैसे बापू कहने लगे. 66