बेचारेने दो महीने पहले तो सत्याग्रहमें शामिल होनेकी अिजाजत मांगी थी और असे नवम्बरमें वापसे मिलनेकी आशा थी । मणिलाल रेवाशंकर जगजीवनको पत्रमें लिखा सुन्दर भवनके अब वर्वाद होनेका खतरा पैदा हो गया है । तुम सबको डॉक्टरका वियोग खटेगा ही । मगर मेरी हालत अजीब है । डॉक्टरसे ज्यादा मित्र अस संसारमें मेरा कोभी नहीं था। मेरे लिओ तो वे जिन्दा ही हैं। मगर यहाँ बैठा हुआ में सुनके भवनको अविच्छिन्न रखने में लगभग कुछ भो भाग नहीं ले सकता, यह मुझे खटकता है । तुम जो कुछ कर सकते हो कर लेना । डॉक्टरका नाम अमर रखनेके काममें तुम कहाँ तक भाग ले सकते हो, यह लिखना ।" नानालाल मेहताको " डॉक्टरके चले जानसे मेरी हालत तुम सबसे ज्यादा खराब हो गयी है । मुझे यह खटकता है कि जिसे मैं अपना सबसे पुराना सायी या मित्र कहता हूँ, वह जाता रहे और मैं पिंजड़ेमें बन्द होनेसे असके पीछे कुछ भी न कर सकूँ। मगर अिसमें भी मीश्वरका भेद है, कृपा भी हो। में नहीं जानता कि डॉक्टरका भवन आवाद (जैसाका तैसा ) रखनेकी तुम्हारी कहाँ तक शक्ति है । जितनी हो असे काममें लेना । डॉक्टरका नाम निष्कलंक रहे और अनके गुण अनके लड़के कायम रखें, यह देखने की बात है।" बड़े लड़के छगनलालको "डॉक्टरके स्वर्गवासका सच्चा खयाल अवसे तुम्हारे बरतावमें जाहिर होना चाहिये । डॉक्टरके कभी सद्गुण ही सुनका असली वसीयतनामा हैं । वह तुम्हारा अत्तराधिकार है। तुमसे छोटे भाभियोंको जरा भी क्लेशन होना चाहिये । मेरा अम्म्र भरका साथी जा रहा है तब में असंग जैसी हालतमै (जेलमें) हूँ, यह मुझे खटकता है। नहीं तो मैं मिस वक्त तुम्हारे पास खड़ा होता। शायद डॉक्टरकी आखिरी सांस मेरी गोदमें निकली होती । मगर भीवर हमारा सोचा हुआ सब होने नहीं देता । अिसलिभे में शुतना ही करूँगा, जितना ठाकके जरिये हो सकता है।" पालाकका: “Dr. Mehra is no more. I have lost a lifelong faithful friend. But for me hic lives more intensely by his death than before, for I creasure his many virtues now more than ever. This treasure becomes a sacred trust. Here is a letter for Maganlal. I expect you to do all you can to make him a worchy son of his father. I have advised him not to worry but continuc his studies. Broken down though Dr. M. had become of late. I expect he had preserved his original circumspection to make suitable financial arrangements for
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