पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३५६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

sto डॉ० मेहताके पैरका घाव जहरीला हो गया और अनका पाँव कटवा देना पड़ा । तार आया है कि जिससे अनकी स्थिति गंभीर हो गयी है । सुबह आपरेशन अच्छा हो गया । यह तार आया था कि हालत संतोषजनक है । अिस पर बापने वापस तार दिया था "बड़ी खुशी हुओ । रोज तार देते रहिये ।" यह बात हो ही रही थी कि डॉक्टरमें बर्दाश्त करने की ताकत है कि अितने में दूसरा तार आया डॉक्टरको खूब बुखार है । फिर तार आया डॉक्टरको निमोनिया है और हालत नाजुक । जिसके बाद भी बापन कहा " रतिलाल और मगनकी तकदीरसे अब भी जी जाय तो कह नहीं सकते। " अिस तरह बापूके मुँहसे भी मानवोचित अद्गार निकल जाते थे। आज डबल रोटी खराब हो गयी थी। अिसलिओ आजके लिओ और कलके लिो भाखरी बना डाली । खा चुकनेके बाद बची हुी भाखरियाँ वहाँसे लानेके बजाय वहीं रह गयीं । रसोभी बनानेवाले सब खा गये । मैंने वहाँ रख दी और लाया नहीं, अिसे वापूने मेरी लापरवाही मानी । कवि जो हो ! अिसलिये ध्यान और कहीं होगा ।" मैंने कहा गये तो खैर अनके भाग्यमें होंगी, मगर मुझे यह खटकता है कि मुझ पर लापरवाहीका दोष लगा । अिन लोगोंका फर्ज था कि जब दो दिनकी भाखरियाँ बची थीं, तो आकर मुझसे पूछते कि अिन भाखरियोंका क्या किया। जाय " तुम तो "चे खा . आज डॉक्टर मेहताके देहावसानका तार आया । कल रातको ९-४५ पर शरीर छोड़ा । बायको कितनी चोट लगी, अिसका ४-८-२३२ अन्दाज अिस तारसे हो सकता है : God's will be done. Consolation to you and mother. Hope you will fully carry on all noblest traditions "left by father for commercial integrity, lavish hospitality and great generosity. Sardar, Mahadev join me in condolences. For me? I feel forlorn without lifelong faithful friend. Continue keep me informed of everything. May God bless you all." “ीश्वरकी अिच्छा! तुम्हें और माताजीको आश्वासन । पिताजीकी अदात्त परंपराओंकी यानी व्यापारमें श्रीमानदारी, मेहमानदारीमें अदारता और दानशील स्वभाव, अिन सबकी रक्षा करना। सरदार और महादेव शोकमें मेरे साथ शरीक हैं। मेरी तो कहूँ ही क्या ? अम्र भरके वफादार दोस्तकी जुदाी दिलमें चुभ रही है । मुझे सब हाल बताते रहना । श्रीश्वर तुम सबका भला करे ।" म-२२