. only one was woven yesterday. All our philosophy is dry as dust if it is not immediately translated into some act of loving service. Forget the little self in the midst of the greater you have put yourself in. You must shake yourself free from this lethargy." "तुम्हें सुक्ष्म अभिमान सता रहा है। साथ ही तुममें आत्मविश्वास भी नहीं है । नहीं तो तुम्हारी सेवाके मुहताज अितने सारे साथियोके बीचमें रहकर भी क्या तुम्हे अकेलापन लगना चाहिये ? तुम पुस्तकोंके बीचमें रहते हो, मगर तुम अन्हें छूने नहीं । तुम अितने हिन्दी बोलनेवाले श्री-पुरुषकि बीचमें हो, मगर तुम्हें अनसे बोलना अच्छा नहीं लगता। तुम अितने कार्यकर्ताओंके बीचमें हो, परन्तु तुम काम नहीं करते । जहाँ कल घासकी अक पत्ती अगती थी, वहाँ आज दो अगानेकी तुम्हें अिच्छा नहीं होती। जहाँ अक गज कपड़ा बुना जाता है, वहाँ दो गज बुननेको तुम्हारा जी नहीं करता। हमारे तत्वज्ञानकी खाकके बरावर कीमत नहीं, अगर वह तत्काल प्रेममय सेवामें नहीं बदल जाता । तुम जिस विशाल संग्रहके बीचमें हो, असमें तुम अपनी तुच्छ हस्तीको भूल जाओ। तुम पर जो यह शिथिलता सवार हो गयी है, असे अतार फेंको ।" .. ने लिखा था: "क्या मैं आश्रममें जाजिस चुम्बककी तरफ खिंच कर जाता वह तो वहाँ है नहीं ।" झुन्हे लिखा: “आश्रममें न जानेका कारण तुमने खूब बताया । सभी भैसा करें तो ? काजी और असके कुत्तेकी कहानी सुनी है ? काजी बहुत मशहूर था। मुसका कुत्ता मर गया तो असकी लाशका जुलूस निकाला गया। असमें सारा गाँव गया। काजी मरा तो काँधिये मुश्किलसे मिल सके! तुमने भी असा ही किया कहा जायगा न? या 'देहीनां स्नेही सकळ. स्वारथिया अन्ते अळगा रहेशे रे' भजनका तो हम सभी अनुसरण करते हैं न! शरीरमेंसे जीव निकल गया कि उसे जला देते हैं । मगर तुमने ----? यह वाक्य तुमने पूरा करना । मतलब यह है कि हम व्यवितका मोह न रखें। व्यक्तिके गुणोंका मोह हो सकता है, परन्तु वह मोह शुद्ध प्रेमका होगा । सबके गुण कुछ न कुछ कार्यरूपमें परिणत होते हैं । अगर हम अन गुणोंको अच्छा समझते हों, तो अनसे जो कार्य मूर्तिमन्त हो असे अत्तेजन देना चाहिये । अिसलिओ तुम आश्रममें चली जाओ, अितनी लड़कियोंमेंसे कुछसे तो जानपहचान कर ही ली होगी। किसी किसी समय प्रार्थनामें भी भाग लेना ।" अिसी बारेमें के पत्र में : १. व्यक्ति-पूजाके बजाय गुणपूजा करनी चाहिये । व्यक्ति तो गलत साबित हो सकता है और असका नाश तो होगा ही, गुणोंका नाश नहीं होता।
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