पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३४५

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हालत है ही नहीं। तुम कर्तव्यपरायण बननेके लिओ खुब कोशिश कर रहे हो, यह स्पष्ट है। यों तो तुम निर्विकार बननेके लिओ भी कोशिश कर रहे हो; मगर जैसे निर्विकार नहीं बने वैसे ही कर्तव्यमें भी तन्मय नहीं हुअ । मालूम होता है काम करते समय भी तुम्हें विकार आते ही हैं । मेरी खुदकी स्थिति कहाँ जैसी ही नहीं थी? दूसरोंको लगता था कि मेरे काममें खामी नहीं आती । मगर मैं अपनी खामी देख सकता था । जिसीसे तो ब्रह्मचर्य पर आया ।" को " यदि तुम सचमुच निर्विकार हो, तो के वशमें होने पर भी तुम अन्हें सन्तोष दे ही नहीं सकतीं। यह तमाम विषयी लोगोंका अनुभव है । नतीजा यह होता है कि तुम्हारे साथ भोग कर लेने पर भी अतृप्त ही रहते हैं और अिससे झुनकी विषयवासना बढ़ती है । अिसलिओ अगर तुम्हें दोनोंको साथ ही रहना हो, तो तुम्हें भोगमें रस लेना पड़ेगा। अगर तुम्हें रस न आये, तो तुम्हें अलग रहना चाहिये। अभी तो तुम दोनोंके साथ रहनेका मैं बुरा ही परिणाम देख रहा हूँ। तुम अक दूसरेको धोखा दे रहे हो, खुद अपनेको धोखा दे रहे हो और दुनियाको भी धोखा दे रहे हो । तुम दोनोंके जीवनके बारेमें मेरे सिवा दूसरे लोग तो यही मानते मालूम होते हैं कि आश्रममें रहे हुओ होनेके कारण साधु-साम्बीकी तरह साथ रहते हो। अिस झुठसे तुम दोनों बच जाओ और दोनों अपनी अपनी पसन्दके विवाह कर लो तो सबसे अच्छा | मेरे खयालसे तुम दोनोंका मौजूदा जीवन दूषित है । दूसरी स्त्रीसे शादी कर लें, तो अस जीवनको निर्दोष समगा, क्योंकि वह स्वाभाविक होगा और अन्तमें ... शान्त हो जायँगे । अिस सुधारके लिओ 'दोनोंको दिल खोलकर बातें कर लेनी चाहिये । और फिर जो कदम झुठाना ठीक दिखामी दे, असे झुठा लेना चाहिये। जैसा होनेपर . . . किसी दिन निर्विकारी बन सकेंगे । मौजूदा ढंगसे तो वे जलते ही रहेंगे और अनके विकार चष्टते ही रहेंगे । तुममें जो शक्ति है, असे तुम खो न बैठना। निराश न होना । श्रीस्वर तुम्हारी मदद करे ।" विषयवासना छोड़नेके बारेमें टॉमस से केम्पिसके श्लोक ये हैं : " Longstanding custom will make resistance, but by a better habit shall it be subdued. "The flesh will complain, but by fervour of spirit shall it be kept under. “The old serpent will instigate thee, and trouble thee anew but by prayer he shall be put to flight; moreover, by useful employment his greater access to thee shall be prevented." 1 .