है, तो मेरा आचरण अधिकाधिक प्रगति करता चला जायगा । मगर अस दिन तो मेरी पूरी पूरी आत्मवंचना संभव थी न ?" ." मेरा कहना यह है कि क्या अिस आदमीको आज असा नहीं लगता होगा कि मेरा विश्वास गलत था और ये आदमी (गांधी) जो कहते थे वह सच कहते थे ?" बापू - " हाँ, अगर उन्हें औसा लगता तो झुनकी भाषा दूसरी ही होती और ब्रिटिश नीति परसे सुनका विश्वास बिलकुल झुठ जाता । मैं नहीं कहता कि वे सविनय भंग करें । मगर. वे और दूसरे सब लोग आज यह माँग तो करें कि गांधी जो कहता था वही सच था और तुम्हें असे छोड़ना चाहिये । गोखले बार बार मेरे लिअ यह कहते थे कि जिस आदमीमें समझौता करनेकी शक्ति भी अजीब है। अपने साथियोंसे भी यही बात कहते थे । यही बात ये लोग सरकारसे कह सकते हैं। मगर ये लोग जैसा कुछ नहीं मानते । ये लोग अिस अछूतपनके मामलेमें भी कहाँ समझते हैं ? मैक्डोनल्डकी अिस साम्प्रदायिक निर्णयके मामलेमें अच्छी तरह कीमत हो जायगी ।" वल्लभभाभी-"क्यों, कीमत अभी मालूम नहीं हुी क्या ? आज ही होरने असके कथनको शुद्धृत करके असका जो अर्थ किया है, वह क्या अससे पूछे बिना ही किया होगा? और मैक्डोनल्डने अस समय जो भाषण दिया होगा, वह क्या होरसे पूछे बिना दिया होगा ? बापू ." नहीं, अिसमें मैक्डोनल्डका कसूर नहीं है । अिस आदमीने मामला असके हाथसे ले लिया है और अपनी मरजीसे कर रहा है। और अससे कहता है कि नहीं तो तुम हिन्दुस्तान खो बैठोगे । मगर साम्प्रदायिक निर्णयका मामला खुद मैक्डोनल्डका है। अिसीने अपनी पंचायत सम्बन्धी बात सुझायी थी। और अव सरकारकी तरफसे फैसला देनेवाला है। होरके पास अपना निराकरण तो रखा ही होगा। मगर भिस मामलेमें मैक्डोनल्डको ही ज्यादा करना है, अिसलिओ सुसका अिन्तजार हो रहा है। आज तककी सारी बात असके महकमेकी है, अिसलि होरकी स्वतंत्रता समझमें आ सकती है। मगर अब तो असे न्यायाधीश बनकर बैठना है । देखते हैं वह क्या करता है ?" "
यह किस आज बापूने सारा अीशोपनिषद् लिख डाला । मैंने पूछा- लिभे?" तो कहने लगे ." मुझे भिसे रट लेना है । और पुस्तकको लिये लिये कहाँ फिरा कम? यह कागज तो कहीं भी रखा जा सकता है।" वेदान्त और अपनिषदों वगैराका आजकल अध्ययन हो रहा है । आज दोपहरको श्वेताश्वतरका श्लोक निकाल कर मुझे बताया और कहा : २९०