पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

४ - महादेवमाणीको डायरिया गांधीजीके जीवनचरित्रके लिखे कच्चा किन्तु यहुत ही महत्वका मसाला है। मगर कच्चे मसालेके अलावा मानवजातिको प्रेरणा देनेवाले और मनुष्य जीवनको बनानेवाले बहुत अपयोगी और चिरजीवी साहित्यके रूपमें अिन डायरियोंका स्वतंत्र महत्व भी है। गांधीजीकी जीवन कलाके मिया भिन हायरियोंमें महादेवभाओका स्वभाव, अनकी कर्तव्यनिष्ठा, सुनका मस्तिभावते भरा हुआ हृदय, और कभी विषयोंमें अनकी दिलचस्पी ---ये सब भी प्रकट होते हैं। सार यह है कि महादेवभाजीकी आत्मा यहाँ अक्षर- देव धारग करती है और हमें की तरफसे बहुत नजदीकसे देखनेको मिलती है। पैसे तो अरु अनन्य मित्रके नाते त्वाभाविक ही महादेवभाभीका प्रिय और पावक स्मरण मुझे हमेशा रहता है, मगर अिन डायरियोंके सम्पादनका काम करते वक्त तो असा अनुभव हुआ है जैसे में गंभीर और हलके अनेक विषयों पर सुन साय चचां तथा वार्ता-विनोद करता हो। और कभी कभी तो यह महमूम हुआ है जैसे मैं सुनके साथ हंसी मजाक कर रहा हो । मुझे यकीन है कि यह पुस्तक पहने समय दूसरे मित्रोंको भी यहीं महसूस होगा। मेरा खयाल है कि गुजराती भाषामें जिस तरहका साहित्य यह पहली बार प्रकाशित हो रहा है । अंग्रेजी भाषामें और युरोपकी दूसरी भाषाओंमें असा शायरी-साहित्य यहुत है। दुनियाके जिस किस्मके सारे साहित्यमें, चीजके अदात्तपनके काग और रखने की गलीके सरमपन और मनोहरताके खयालसे, महादेवभाजीकी दाग्यिोंका स्थान बहुत ऊँचा रहेगा, यह मुग पाठक स्वीकार करेंगे । पच्चीस वपकी महादेवभाजीकी डायरियोंमें से मैंने १९३२ की डायरीसे ही मात की । सिमका अक कारण तो यह है कि जेलमें लिखी होनेके कारण ना ओगेसे ज्यादा फुरसतसे लिखी गयी है। महादेवभाीको संकेत शिप (गॉटर) नहीं आती थी। गांधीनी के व्याख्यान, बातचीत और मुकले भी समय दी लिपिमें नोट कर लेने छ । वे अितनी तेजीसे नंट कर मरते ३ कि अभी पसे शब्दशः विवरण दे सकते थे। मगर यह सामायिक हि या उदीमें लिय हुने नोट पूरी तरह स्पष्ट न हों । जेलमें र मगर न होनेसे यह टायगे कुछ ज्यादा विस्तारके साथ for । दसरा कारण या है कि बाहर रहते हुभे लिपी हुी दूसरी या में कुछ को नवजीयन बगेग मापया के जरिये लोगोंको मिल कर दिया गेलो गमवई' दोनेके कारण भिमसे बहुत ही कम मचिमादेवभाजी जिसमें विन्तारसे लिल सके हैं, भने कारण यातचीत और पत्र-व्यवहार लम्बाओक -