मैं वफादार-संभा कायम करूँगा, किसानोंसे रुपया दिला गा, और सविनयः भंगकी लड़ाीको दबा देनेमें मदद करूँगा। अिस पर असे आसानीसे छोड़ दिया जायगा ।" किसी भी कैदीको छोड़नेकी अक शर्त यह है कि असने कमसे कम तीन महीने पूरे कर लेना चाहिये । अिस पर वल्लभभाभी कहने लगे. " असने सफाीमें यह नहीं कह दिया कि यह स्त्री स्वराजकी लड़ाीमें शरीक थी और खादीके सिवा दूसरे कपड़े धोनेको ले जानेसे अिनकार करती थी; और मेरे विरुद्ध यह झूठा अिल्जाम लगाया गया है ?" - सेम्युअल होरने घोषणा की कि गोलमेज परिषद खत्म हो गयी है और कुछ लोगोंको पार्लमेण्टरी कमेटीके सामने गवाही देनेके १-७-२३२ लिओ बुलाया जायगा । यह प्रधानमंत्रीके वचनका भंग हुआ और नरम दलवालोंके गाल पर तमाचा पड़ा । 'यह गैर-कांग्रेसी राष्ट्रवादियोंका अपमान है', शास्त्रीके ये शब्द होने पर भी जयकर और सप्रूके बयानोंमें अिस चीजके खिलाफ गुस्से जैसी कोजी बात नहीं है। अिन लोगोंको अभी तक आशा है कि कोभी न कोभी ज्यादा सन्तोषजनक बयान दिया जायगा। शामको घूमते हुओ बापू बोले -" आज हानिमेनका लेख पढ़ो। 'अपमानजनक तो है, मगर हम अभी देख रहे हैं, राह देखेगें !' आज तक हानिमेनके लेख पढ़े बिना असकी बेकद्री करता रहा हूँ।' आज पढ़कर सुनाओ।" पढ़ सुनाया । बापू कहने लगे- ." सुन्दर लेख है। अिसमें सिर्फ सपाटा या आलोचना ही नहीं है, मगर असके दिलका दर्द भरा हुआ है ।" मैंने कहा - " असने जयकर-सपूके बयानको मिथ्या बताया है, मगर विनयकी भाषा काममें ली है। वह कहना चाहता है 'नामर्द'" बापू, बोले सच बात है।" तब यह नहीं समझमें आता कि साअिमन कमीशनके समय अिन लोगोंने कैसे अकाओक जोश दिखाया था। वल्लभभाजी-“अिन लोगोंने यह सोचा था कि शायद हममें से कुछको कमीशनमें जगह मिल जायगी। आज बहुत दिन राह देखनेके बाद स्वामीका पत्र आया। सुन्दर रंगीला आ बखते अमने रेढियाळ माणसोनो पनारो पड्यो छे । (अिस बार हमें रद्दी आदमियोंसे पाला पड़ा है ।)" ये शब्द काटे नहीं गये थे। वल्लभभाीको मैंने पूछा ." ये शब्द काटे क्यों नहीं गये ?" वल्लभभाभी "अिन्हें कोली समझे तभी तो ? 'रेढियाळ' (रबी) को कौन समझे और 'पनारो' (पाला) कौन जाने क्या बला है ?" किशोरलालभाभीका भी पत्र आया । अन्होंने अपने लिखने पढ़नेके कामका जिक्र करके ज्यादा पहनेकी सूचना माँगी । स्वामीने रामकृष्ण और विवेकानन्दके बारेमें बाके विचार पूछे ।। 56 »
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