- बन्द हो गयी हो। जयकरसे मिलता है। कहता था आज जयकर आ रहे हैं । वे बिलकुल निराश हो गये हैं और सम्भव है विधान-समितिसे अिस्तीफा दे दें। क्योंकि असमें कुछ भी काम नहीं हो सकता । अिसी विषयमें चर्चा करनेके लिओ वे यहाँ आ रहे हैं। बेचारेने कहा कि दो हफ्तेसे पत्र लिख रहा हूँ कि मेरे लायक कोमी कामकाज हो तो लिखिये । पुस्तकें, फल वगैरा जो कुछ चाहिये, मैंगा लीजिये । मगर असके पत्र यहाँ पहुंचने दिये नाय तब न! साप्ताहिक 'टाअिम्स'में कितनी ही चीजें अच्छी आती हैं: अक अंग्रेज हिन्दुस्तानकी स्त्रियों पर अच्छी लेखमाला लिख रहा है । 'दुर्गावती'.-महोबाकी राजपुत्री को कौन जानता था ? बापूको लेख पढ़कर सुनाया गया। अन्हें वह बहुत पसन्द आया । नटराजन मताधिकार पर बढ़िया लेखमाला लिख रहे हैं । और परोक्ष बालिग मताधिकारवाले लेखमें अन्होंने बापके गोलमेजी परिषद्के भाषणका खूब समर्थन किया है। ‘टासिम्म 'में लॉर्ड ग्रेके सम्बन्धमें अक मजेदार किस्सा है। अनकी ७० वीं वर्षगाँठ सर जेम्स वेरीने अपने यहाँ मनायी । लार्ड ग्रे राजकाजसे निवृत्त होकर फेलोडनमें आराम ले रहे हैं और पक्षियोंकि साथ कल्लोल करते हैं। सर जेम्सने भाषण देते हुभे कहा कि मैंने अपने केनरी पक्षीसे बात की कि आज का जन्मदिन है । हम मनायें ? तव असने तुरन्त ग्रेको पहचान लिया और बोला- मनाअिये। मगर हम सबको अनसे मिलने बुलाना । ये सब पक्षी जमा किये गये थे। हमारे यहाँ न तो पक्षियोंका शौक है, न फूलोंका, न हरियालीका और न पशुओंका । कालिदासके जमाने में आसपासको सृष्टिके साथ मनुष्य जो अकता अनुभव करता मालूम होता था, असके प्रति हम अहिंसाके पुजारी अदासीन हैं, जब कि पश्चिमी देशोंके लोगोंकी -जिनका अहिंसासे कुछ काम नहीं-बाहरी सृष्टिके साथ अकता पग पग पर नजर आती है । म्युरियल पत्र लिखती है तो वसन्तके आनेके साथ साथ जिन जिन फूलोंसे बाड़े-बाड़ियाँ और जंगल ढंक जाते हैं अनका वर्णन करती है । प्रीवाकी पत्नी लिवती है कि असके छोटेसे बाड़ेमें होनेवाली की तरकारियोंके जो पौदे खिल रहे हैं, अनपर वह न्योछावर है । और हम ? अन्न और फलके भेद के बारेमें रामेश्वरदासको लिखा : "यह समझ लेना कि अनाज और फल खानेमें जो भेद पैदा कर दिया गया है वह झूठा है । शारीरिक और आध्यात्मिक दृष्टिसे कितने ही पदार्थ जो अनाज कहलाते हैं कितनी ही परिस्थितियोंमें फल कहलानेवाली चीजोंसे ज्यादा सात्विक हो सकते हैं। मूंगफली फल मानी जाती है मगर लगभग सभी रोगोंमें मना है, जब कि चावल अनाज होने पर भी मर्यादाके साथ खाया जा सकता २५१ 1
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