सबके पार लगा अपनाओ, मैं हूँ नाथ तुम्हारी दासी ।' अरिस्टार्शीके प्रेमपूर्वक प्रणाम । ।" अक और कार्ड पर अक सुन्दर चित्र था और पीछे “ीशावास्यमिदं सर्व यत्किच जगत्यांजगत् " मंत्र दिया हुआ था। बापूने लिखा: "Dear Sister, "I continue to receive your kind messages. The latest brings the news of your financial worries. My prayers are certainly with you. Those who walk in the fear of God do not fear financial or any other losses. They often come to the God-fearing as blessings in disguise. May this trouble be so with you. Your faith and fortitude should cheer your aged mother. Yours sincerely M. K. Gandhi "You know the next part of the beautiful verse you have quoted from an Upanishad. It means 'Enjoy the world by renouncing all.' How apposite ! 13 "प्यारी बहन, "तुम्हारे प्रमभरे पत्र मुझे मिलते रहते हैं। पिछले पत्रमें तुमने अपनी आर्थिक परेशानियोंका जिक्र किया है । मैं तुम्हारे लिखे जरूर प्रार्थना करता हूँ । जो मीश्वरका डर रखकर चलते हैं, अन्हें रुपये पैसेका या और किसी नुकसानका डर रखनेका कारण नहीं है । भगवानके भक्तोंक लिओ अक्सर भैसी मुश्किलें छिपे हुओ आशीर्वादके समान साबित होती हैं । तुम्हारी श्रद्धा और तुम्हारे धैर्यसे तुम्हारी माताजीको अत्साह मिलेगा। तुम्हारा मो० क. गांधी " तुमने झुपनिषद्के सुन्दर श्लोकका जो चरण अद्धृत किया है असका अत्तरार्द्ध यह है : 'तेन. त्यक्तेन मुंजीथाः'। यह कितना यथायोग्य है " अन्यास बाया वापस जेलमें न पहुँच सके अिसका अन्हें कितना दुःख है, यह जाननेके लिअ अक वाक्य काफी है : "Need I say there is hardly a minute of iny conscious hours when I am not thinking of you and your companions and wondering how much I am disappointing you ?" २३४
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