0 राजकुमारी अरिस्टाशी एमेशा पत्र लिखती ही रहती है । मिस बार असका पत्र अपनी मुश्किलें बयान करनेवाला आयाः २०-६-३२ "I always look forward with joy for the mail day to comc round again when I may write to you. It is such a great help and means to me more than I can express into words. The fact of knowing you lit up my whole Path, giving me strength to bear all the present difficulties. It is with financial worries I have now to cope with. Please to pray for me Mahatmaji, that God might give me the necessary courage and clear sight, especial- ly for my mother's sake, who is over 80 years old. I feel it is an ordeal to pass, and that God will lead me through, and I offer it to Him as an act of self-purification that it may be counted for your sake. All my thoughts and prayers Surround you, with incessant devotion and faith for brighter days. God ever keep you and bless you, dear Mahatmaji. 'O'er moor and fen, over crag and torrent Till the night is gone.' With deepest and faithful affection Efy Aristarchi " डाकके दिन मिलनेवाले आनन्दकी मैं हमेशा राह देखा करती हूँ । अस दिन आपको लिखनेका मौका मिलता है, अिससे मुझे जो अत्साह और आश्वासन मिलता है वह भितना ज्यादा होता है कि मैं शब्दोंमें बयान नहीं कर सकती। यही बात कि मैं आपको जानती हूँ मेरे मार्गको प्रकाश देती है और अपनी मुश्किलोंको पार करनेकी मुझे ताकत देती है। अभी मैं पैसे सम्बन्धी परेशानीमें फँसी हूँ । महात्माजी, आप मेरे लिखे प्रार्थना कीजिये कि भगवान मुझे जरूरी हिम्मत और शुद्ध दृष्टि दे । खास तौर पर मेरी माँके लि। वे ८० बरसकी हैं । मेरी परीक्षा हो रही है और मीश्वर मुझे जरूर पार लगायेगा। अिस कसौटीको मैं आत्मशुद्धिकी क्रिया मानती हूँ और असे आपके नाम पर अर्पण करती हूँ । ज्यादा अच्छे दिनोंकी आशामें मेरे विचार और.मेरी प्रार्थनायें आपको ध्यान में रखकर अविरत श्रद्धा और निष्ठाके साथ होती हैं। प्यारे महात्माजी, अीश्वर आपकी रक्षा करे और आपका भला करे । 'कठिन भूमि गिरिवरकी घाटी शोर मचाती नदियाँ बहती 17 २३३
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