बापू अक पढेका तकिया लगाकर बैठते हैं। अक्सर अिस पट्टेको दीवारसे सीधा लगाकर रखते हैं, कोण बनाकर नहीं। मैंने कहा "बापू कोण बनाकर रखा हो, तो गिरा न करे और जरा आराम मिले ।" वाप्पू कहने लगे- आराम तो मिले । मगर सच्ची खुबी सीधा रखनेमें ही है । अिससे कमर और री सीधी रहती हैं, नहीं तो टेढ़ी हो जायें । यह नियम है कि किसी चीजको सीधी रखें, तो असके सहारेकी सभी चीजोंको सीधा रहना पड़ेगा; और अक मामलेमें टेवा रखा, तो फिर कभी दोप घुस जायेंगे।" मैंने रोमा रोलॉका लिखा रामकृष्णका जीवन चरित्र पढ़ लिया । अिस आदमीकी अगाघ कल्पनाशक्ति और झूची भावनाको धन्य १-६३३२ है। स्विटजलेण्डके गाँवमें बैठे बैठे अंग्रेजी पुस्तकों और बंगाली अंग्रेजी अनुवादोंका फ्रेंच अनुवाद कराकर और अन्हें समसकर दो सालको मेहनतके अन्तमें हिन्दुस्तानियोंको शरमानेवाली पुस्तक प्रकाशित की है । जिसने राममोहनरायते लगाकर रामकृष्ण और विवेकानन्द तकका राष्ट्रीय धर्मात्यानका अितिहास अपूर्व शक्तिसे दिया है । जिस मनुष्यकी भारतके प्रति हर पृष्ठ पर भक्ति दिखायी देती है। अिसके सिवा भारतके अपात्ममार्गके प्रति सुतका आकर्षण और असके गलीकूचे समसनेके लिखे असकी पहुंच मी जगह जााद दिखायी देती है । तोतापुरीके साथका परमहंसका मुम्बन्ध और केशवचन्द्र सेनके नायका सम्बन्ध बहुत ही हृदयस्पर्शी ढंगले ययान किया है। वल्लभभाजीते जिस किताबके पढ़ने की सिफारिश करते हु मैंने कहा " और कुछ नहीं तो आपको रामकृष्ण परमहंसके मीठे मजाकों और विनोदोंमें -जिसे गला कटाक्षमय विनोद कहता है- अपने साथ कुछ न कुछ गम्य जर दिखाली देगा। मिसालके लिओ, अझसमाजियोंने दिनरात ीवरको यार गनेका मनन गागा तय गमकृष्णने कहा “जिस तरह एठ क्यों योलो हो? यो कहो कि दिनमें दो बार मनते है। भगवानको क्यों भोग्या देने हो?" गोर गरी मनिवजास अली दनका जो अभिमान करते हैं अगर गमणने में का "तुम झुमके अनेक गुग गिनाते हो । मारमा किरा लि गिनाते हो! कोमी लड़का यापसे कहता है शिमा नाम नि मकान है, साग, घ"ये मय वटा मानो गमा पर आधामि और शारीक मायनाओर दो। गादि . नोदो भाये और गाने की ट्रना गुन्हें आगकी
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