1 हूँ। सिमालो आमपातकी सुविधा-अतुविधाओंका मेरे मनके साथ सम्बन्ध नहीं रहता।" विनोबा भाजी भासूको पत्रमें लिखा ." जीवित लोगोंकी मूर्तिका ध्यान अच्छी बात नहीं है । जिसका ध्यान करें असमें पूर्णताका आरोपण होता है । दोना चाहिये । जीवितोंमें किसीको पूर्ण न कहा जाय । रामायणादिमें जो चित्र आते हैं, वे अच्छे नहीं होते हैं। किन्तु मूर्तिकी आवश्यकता क्यों ? ओवर निगकार निगुंग है। असका ध्यान क्यों न करें ? यदि यह अशक्य है, तो ओंकारका ध्यान किया जाय। अथवा अपनी कल्पनाकी मूर्तिका । गीता माताका ही ध्यान क्यों नहीं ? असे कामधेनुकी झुपमा दी है । अिस धेनुका ध्यान किया जाय । और जिसमें बहुत अर्थ पाये जाते हैं। वैसे भी जीवितोंकी मूर्तियोंका ध्यान हानिकर हो सकता है । अिसलिओ त्याज्य समझो।" आश्रमका अक बालक लिखता है . "आप विलायतका वर्णन क्यों नहीं देते १" असे लिखा " लन्दन बहुत बड़ा शहर है । असमें धुंआदान बहुत हैं। अिलिअ मर कुछ काला हो जाता है, कुछ भी सफेद रह ही नहीं सकता। मूर्यके दर्शन दुर्लभ होते हैं । वहाँके लोग हमसे ज्यादा अद्यमी हैं । वहाँके रास्ते बहुत साफ होते हैं।" अब कोभी सन् ३२की मेयो पैदा हुआ है । जिसका नाम पेट्रीशिया फेष्टेल है। यह लंदनके लोगोंको समझाती है कि, "Gandhi is a waning star. Policy of Lord Willingdon is justified. Gandhi's followers disillusioned. Visited jails and found standard of living in prisons far higher than of natives outside; and Lady Willingdon is extremcly popular and princes are popular too." "गांधी अब यता हुआ तारा है। लॉर्ड विलिंग्टनकी नीति सच्ची मारित भी है। गांधीक अनुयायियोंका भ्रम दूर हो गया है। मेलोंको देखा। यादर देगी लोगोंके जीवनमापसे जेलोंमें जीवनमाप बहुत सुंचा है। लेदी शिलिटन गप्रिय है और राजा भी लोकप्रिय है।" पर 'दिल' रापटरकी हवामी साकमें गा। 'यसिम्स में नहीं आया। "टाअिर' को छापनेमें शर्म आयी होगी। " वल्लममाश्री "मन पया आयेगी ? यद जिसमें शरीक होगा न ?" यापू कहने लगे नमें नगर हो तो भी यह चीज अितनी ग्युरी कि जिसे छापने में मग आ माती है। मानो कोमी विलिंग्टन नायकी बड़ी की हुमी औरत है।" पनामयिों पर हमले यारेमें मरकारी ययान पर कर सेद हुआ। पर आतंक | "बिलों पर हमला हुआ है, मगर जिन्हें १८८
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