19 धर्मको मानने और पालनेवाले हों, तो दोनों के बीच दिक्कतें पैदा होनेकी सम्भावना रहती है। जिस दृष्टिसे मैं अस भाटिया बहनकी शादी जोखमभरी समढुंगा । यह नहीं समझता कि वह धर्म विरुद्ध है। दोनों के बीचका प्रेम निर्मल हो, भाटिया बहन अपने धर्मका पालन कर सके और वह मुसलमान भाभी अपने धर्मका, और फिर खानेपीनेके बारेमें दोनोंके विचार मिलते हों, तो मेरा दिल असे विवाहका विरोध नहीं कर सकता। मगर जैसे मैं अपजातियोंका नाश चाहनेके कारण जातिसे बाहर शादी पसन्द करता हूँ, असी तरह धर्मके बाहर विवाह पसन्द नहीं करता । असके विरोध आन्दोलन भी नहीं करूंगा। यह सारी बात सब स्त्री-पुरुषोंको अपने अपने लिओ सोच लेने जैसी है । अिसमें ओक ही कानून नहीं चल सकता । को लिखते हुओ लिखा " हरिजन समितिका प्रस्ताव मुझे भयानक लगा । यहाँ बैठे बैठे तो क्या बता सकता हूँ ? मगर क्या समितिके सदस्योंके जीते जी अक भी पाठशाला बन्द हो सकती है ? खुद बिक जाय, खुदके घरबार बिक जाय और पाठशाला चलाये तब असका नाम समिति है । अिसलिओ हारनेके बजाय आशावादी बनो और जब अपनेको बेचनेके लिओ तैयार होगे, तब समितिको जरूरी खर्च देकर लोग तुम्हें खरीद लेंगे । भिस बारेमें भले ही तुम्हें शंका हो, मुझे हरगिज नहीं है। भोजा भगतको कविता याद है न कि 'भक्ति शीश तणु साटुं आगळ वसमी छे वाटुं१"* लन्दनके कितने ही पत्रों पर 'गांधी, लन्दनअितना-सा पता होने पर भी वे चले आते थे। अक पर बाकी अखबारसे काटी हुी तसवीर थी और लन्दन लिखा हुआ था और टिकट लगाये हुआ थे। वह भी मिल गया । डाकखानेके आदमी जितने कुशल और हमदर्द सेवक होते हैं, अतने और कौन होंगे ? बापूने यहाँसे अक पत्र आस्ट्रिया लिखा था। वह जिसे लिखा था, असे न मिला | अिसलिओ वह वापस आया है। अिसमें हस्ताक्षर सिर्फ 'बापू' किये थे । यहाँके डेड लेटर आफिसवालोंने वापस भेजते हुओ लिफाफे पर पता अिस प्रकार कर दिया : श्री वाघ यानी महात्मा गांधी, यरवदा सेंट्रल जेल । . वहाँ भी बापूको जाननेवाला और बापका भक्त पड़ा होगा ! । हमारे पत्र ठीक तरहसे नहीं पहुँचते, अिस बारेमें शिकायती पत्र लिखा। असका जवाब गवर्नर-अिन-कौंसिलकी तरफसे यह आया कि २५-५-३३२ जाँच हो रही है और पुलिस कमिश्नरको कार्रवासी करनेके लिओ कहा गया है । अिसीके साथ यह खबर आयी
- भक्ति सिरका सौदा है । आगेका रास्ता मुश्किल है ।
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