तो राजनीति आ जाती है, और राजनीतिमें हम कैदीकी हैसियतसे पड़ नहीं सकते । भिसलिमे यह बात यहीं खत्म करता हूँ।" । चम्बीका हत्याकाण्ड अभी जारी है ! जानकर कँपकँपी हो आयी। सबने लाचारीसे भगवानका नाम लिया । १७-५-३२ आज बापूने बहुत पत्र लिखवाये। जिनमेंसे अक दो ही महत्वके थे। बाकी तो बरती जानेवाली डाकके साक्षी मात्र थे। बहनोंके पत्रोंमें रंगबिरंगे पत्र तो होते ही हैं । प्यारेलालकी माताजी बापूसे आत्मामें परमात्माका दर्शन करनेकी कुंजी माँगती हैं और यह माँग करती हैं कि हजार सूर्योसे भी ज्यादा प्रकाशवाले परमात्माके दर्शन कराअिये । अक दूसरी बहन तारावाी वाजपेयी बापूको प्राणायाममें होनेवाली मुदिकलको हल करनेके लिझे पूछती हैं और खबर देती हैं कि की कैदी बहनें आपका नाम जपती जपती छूट गयी हैं। बापूने अिन्हें लिखा ." मीश्वरके दर्शन आँखसे नहीं होते । श्रीदवरका शरीर नहीं है, अिसलि असके दर्शन श्रद्धासे ही होते हैं। हमारे दिलमें जब किसी भी तरहके विकारी विचार नहीं हों, · किसी भी प्रकारका भय न रहे और नित्य प्रसन्नता रहे, तब यह जाहिर होता है कि हृदयमें भगवान निवास करते हैं। वे तो सदा वहाँ हैं ही, मगर हम अन्हें नहीं देखते, क्योंकि हममें श्रद्धा नहीं है। और अिसलि की तरहके संकट अठाते हैं। सच्ची श्रद्धा हो जाने पर बाहरसे लगनेवाले संकट भी असी श्रद्धावालेको संकट नहीं लगते । अपर जो लिखा वह तारादेवी बाजपेयीको लागू होता है । प्राणायाम जैसा और अितना करना चाहिये, जिससे शरीरको कहीं भी कष्ट न हो । हठयोगके प्राणायामका मुझे कुछ भी अनुभव नहीं है । अिसलि अिस मामले में मैं अन्हें रास्ता नहीं दिखा सकता । जैसे प्राणायामकी जरूरत भी नहीं है। भगवान शारीरिक क्रियाओंसे नहीं मिलता । भगवानसे मिलनेके लि भावना चाहिये । और जिस भावनाके अनुसार आचरण चाहिये । प्राणायाम वगैरा क्रियाओंसे शरीरकी शुद्धि होती है और अससे थोड़ी बहुत शान्ति मिलती है । जिनका अिससे ज्यादा अपयोग नहीं है ।" ओक आदमी किसा गोतमीकी तरह पूछता है. आप किसी जैसे आदमीसे मिले हैं, जो कभी अशान्त ही न होता हो।' बापूने अिसे भी जवाव दिया: "Life without a ruffle would be very dull business. It is not to be expected. Therefore it is wisdom to put up. with all the roughness of life and that is one of the rich lessons we learn from Ramayana." १५५
पृष्ठ:महादेवभाई की डायरी.djvu/१५८
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।