पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/८१

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कुहन जामये ख़ेश आरास्तन,
वेह अज़ जामये आरियत ख़्बास्तन।

अपने पुराने कपड़ों की मरम्मत करके पहनना मंगनी के कपड़ों से अच्छा है।


चु सायल अज़ तो बज़ारी तलब कुनद चीज़े,
वेदेह वगर न सितमगर वज़ोर बसितानद।

जो आदमी दीनों को नहीं देता वह अत्याचारियों का शिकार होता है।

सखुनश तल्ख़ न ख़्वाही दहनश शीरीं कुन।

अगर किसी की कड़वी बात नहीं सुनना चाहते तो उसका मुंह मीठा करो।


मोरचगांरा चु बुवद इत्तफ़ाक़,
शेरेज़ियां रा बदरानन्द पोस्त।

ऐसा संयोग भी आता है कि चिउंटियां शेर की खाल नोचती हैं।