पृष्ठ:महात्मा शेख़सादी.djvu/८०

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दानियों के पास धन नहीं होता और धनी दानी नहीं होते।


परागन्दा रोज़ी परागन्दा दिल।

वृत्तिहीन मनुष्य का चित्त स्थिर नहीं रहता।


पेशे दीवार उन्चे गोई होशदार,
ता न बाशद दर पसे दीवार गोश।

दीवार के भी कान होते हैं इसका ध्यान रख।


कि ख़ुब्स नफ़्स न गरदद व सालहा मालूम।

स्वभाव की नीचता सालों में भी नहीं मालूम होती।


मुश्क आनस्त कि ख़ुद बबूयद, न कि अत्तार बगोयद।

कस्तूरी की पहचान उसकी सुगन्धि से होती है गन्धी के कहने से नहीं।


कि बिसियार ख़्वारस्त बिसियार ख़्वार।

पेटू आदमी का कभी आदर नहीं होता।