पृष्ठ:मल्लिकादेवी.djvu/६७

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परिच्छेद]
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वङ्गसरोजनी।

अथवा किसी ऐसे स्थान में कैद कर दिया जाऊं कि फिर आजन्म मेरा उस कैद से छुटकारा न हो और आप अपने एक ऐसे उपकारी सहायक को खो दें, जो अभी बहुत कुछ आपकी सेवा करने का विचार रखता है और जिसकी उत्तमोत्तम सेवाओं को इस समय आएको अत्यन्त आवश्यकता है।

"तो मैं आपसे क्या चाहता हूं ? केवल यही कि आप बादशाह से अथवा किसीसे तबतक इस बादशाही पत्र के पाने का विवरण न कहें, जिसे आज आपने मेरे हाथों पाया है। और यदि आप या आपके मत्री विनोदसिंह, जो कि इस पत्र के विषय से अवगत हैं, किसी अन्य व्यक्ति पर इसके पाने का वृत्त कहेंगे तो उससे मेरी जो कुछ दशा होगी, सो तो होहीगी, किन्तु साथ ही आप और बादशाहे-देहली के मी प्राणों पर आ बनेगी और फिर मैं इस योग्य न रह जाऊंगा कि मापकी सहायता करनी तो दूर रहे; अपने ही बचाव का कोई उपाय कर सके।

"किन्तु हां! यदि आपको इस बात का भरोसा हो कि बादशाही पत्र के पाने का विवरण जिससे' आप कहें, वह किसी दुमरे पर उस रहस्यमयी,कहानी को न प्रगट करे,तो फिर आपको अधिकार है कि आप स्वयं भादशाह से अथवा अपने चाहे जिस मित्र से, जो चाहे सो कह सकते है, किन्तु, सावधान! बात फैलतेही मेरी और आपकी, तथा बादशाह की आयु पूरी ही समझिएगा।

"यद्यपि इस चितौनी देने का ध्यान याप्रयोजन मुझे उस समय नहीं जान पडा था, जब कि उस दूत के पास से पाए हुए पत्र को मैंने आपको दिया था; किन्तु आपसे विदा होने पर मैंने एक ऐसा भयंकर समाचार पाया कि जिससे यह उचित जान पडा कि मैं भापको उस पत्र के प्रगट न करने की चितौनी देई और उस भयङ्कर समाचार की सूचना भी आपको दे, जिससे आप अपने और अपने मित्रों के प्राण बचालें।

"तो वह समाचार कौनसा है? वह यही है कि आपके क़िले के नीचे जो सुरङ्ग है, जिसका हाल आपको विदित है, उसमें बडी शीघता से भयानक बारूद पिछाई जा रही है और संभव है कि यह कार्य प्रातःकाल के पूर्व समाप्त होजाय औरतब उसमे आग लगाकर यह क़िला जडमूल से विध्वश कर डाला जाय और उसके साथही