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उपोद्घात ।

इस उपन्यास में बंगदेश को एक उस समय की घटना का वर्णन किया गया है, जब दिल्ली के तल पर नेकनाम गयासुद्वीन बलधन बादशाह विराजमान था और बंगाले की बागडोर एक महा अत्याचारी तुगरलखां जैसे निर्दय नन्याय के हाथ में थी।

यवनों के अत्याचार से जर्जरित होने पर इस देश का पहिला गुलाम बोदशाह कुतबुद्दीन ऐबक (सन् १२०६ ई०) में हुगा। इसके बाद एक शताब्दी से कुछ कम काल तक इसी गुलामन्त्रांदान के तहत में दिल्ली की बादशाहत रही।

गुलामखांदान के निम्नलिखित दस बादशाह इस क्रम से दिल्ली के तख्त पर बैठे,-

१ कुतबुद्दीन ऐषक (सन् १२०६ ईस्वी)२ गारामशाह (१२१०) ३ शमसुद्दीन अलतिमश (१२१०) ४ रुकनुद्दीन फ़ीरोज़शाह (१२३६)५ रजीयाबेगम (१२३६) ६ मुजुद्दीन बहराम (१२३६) ७ अलाउद्दीन मसऊद (१२४१) ८ नासिरुद्दीन महमूद (१२४६ ) ६ गयासुद्दीन बलवन (१२६६ ) और १० मुईजुद्दीन कैकुयाद (१२८६)

गुलामखान्दान के इन दस बादशाहों में गयासुद्दीन बलवन बहुत ही भला और योग्य पादशाह हुआ।उसीके समय की एक घटना का भवलंबन करके यह उपन्यास लिखा गया है।आशा है कि इसके पढ़ने से पाठक उस पुराने जमाने के आधार, व्यवहार, राजनैतिक और सामाजिक तत्त्व तथा देशदशा के परिचय को भलीभाति पा

सकेंगे।

ग्रन्थकार