( ७६ ) बच्चे भी बुजा लिये गये । उस कमरे में कुल ११ मनुष्य हो गये। ज़ार, ज़रीना, तेरह वर्ष का रोगी पुत्र, चार पुत्रियाँ, एक गृह चिकित्सक, दासी, रसोइया और नौकर | ग्यारहों मनुष्यों के पीछे ज्यरोवस्की था और उमके पीछे बारह आदमी और थे। सभी चुप थे। ज्युरोबस्की ने इन आदमियों के दो दल करके अपने सामने खड़ा कर दिया । राजा, रानी और राजकुमारों के लिये कुर्सियाँ मगवाई गई । खिड़कियों से पहरेदार लोग भयभीत मुद्रा से जो कुछ होने वाला था, उसे देख रहे थे। ज्यूरोबस्की ने कुछ भी शिष्टाचार न करके अपना प्रोटो- मेटिक पिस्तौल बाहर निकाला और जार को निशाना बना कर दन से चला दिया। क्षण भर में ही जार मर कर जमीन लुढ़क गये। इसके दूसरे ही क्षण बारह पिस्तौलों ने एक दम अग्नि ज्वाला उगल दी। सभी बंदी क्षण भर में मार डाले गये। कमरे में पिस्तौलों की प्रलय गर्जना और मरते हुओं की चीत्कार के बाद सन्नाटा छा गया। स्थान धुएं से भर गया। यह हृदय विदारक और भयानक दृश्य देख कर सिपाही भी भयभीत हो गये। जार का छोटा पुत्र एलेक्स अपने माता पिता के मृत शरीर पर गिर कर फूट २ कर रोने लगा। ज्यूरोबस्की ने तत्काल उसे दूर हटाया और गोली मार दी। गोली खाकर भी वह मरा नहीं, सिसकने लगा। ज्यूरोबस्की ने एक सिपाही को संकेत किया। उसने भारी भारी पैर आगे
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