पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/७३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रिश्ता नहीं है। डिप्टी साहब झल्ला उठे। बोले--"आपके मकान की तलाशी ली जायगी, यह वारंट है।" मैंने और भी गुस्स, और लाचारी के भाव दिखाकर कहा- "विरोध करना फजूल है, आप जो चाहें, सो करें । मैं कानूनी कार्यवाही कर लूँगा ।" ६-७ घन्टों तक तलाशी होती रही। पुलिस ने सारा घर छान डाला। खाझकर डि० सु० साहब बाहर निकल आए। मैंने भो खूब रोष दिखाकर कहा-'जनाव, अब आप जरा इस तलाशी पर अपनी रिपोर्ट भी लिख दीजिए।" डिप्टी साहब मेरी ओर घूरने लगे, पर मैंने बाजी मार ली थी। वही धवल दंत-पंक्ति मेरी आँखों में प्रकाश डालकर हृदय में साहस का संचार कर रही थी। डिप्टी साहब ने कहा "क्या आप उस स्त्री के विषय में कुछ भी नहीं बतावेंगे?' "किस स्त्री के सम्बंध में ?" "जो उस दिन आपके साथ मेरठ जा रही थी।" "किस दिन ?' डिप्टी साहब चुपचाप होठ चवाते रहे । दारोगाजी भैप रहे