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कैदी के प्रति - 0100:- हथकड़ियों बेड़ियों से जंगली पशु की तरह जकड़ा हुआ वह गाड़ी के डिब्बे में चुपचाप बैठा था। डब्बे के सब दरवाजे बन्द थे। शायद कोई देख न ले या हवा न लग जाय । हर स्टेशन पर गाड़ी रुकती और स्थानीय पुलिस अफसर स्टेशन पर हाजिर मिलता, वह अच्छी तरह पहरेदारों और डब्बे के चाक चौबन्दी की जाँच करता। कोई व्यक्ति डब्बे के पास आने न पावे इसलिए गाड़ी खड़ी होते ही ६ पुलिस जवान दो इन्स्पेक्टर और एक गोरा सार्जेण्ट मुस्तैदी से तन कर हथियारों से लैस हो कर गाड़ी घेर कर खड़े हो जाते थे। कैदी कभी र आप ही आप हस पड़ता था।
- यह पंक्तियाँ पंजाब केसरी के निर्वासन को एक
सत्य घटना के आधार पर लिखी गई हैं। ORDER