पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१७४

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करके जाब्ते की कार्यवाही कर डालिए।" दारोगाजी ने थोड़ा लाचारी का भाव बताकर कहा- "मुझे बहुत अफसोस है कि जब तक ऊपर से हुक्म न हो, मैं किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकता।" "तब बिना हुक्म आपने फोन क्यों किया ?" कैसा फोन ? "कि इनका वारंट है। थाने में आकर गिरफ्तार हो जायें। "मैंने फोन नहीं किया ?" "आपने फोन नहीं किया ? "नहीं।" "मेरा वारंट नहीं है ?" "नहीं।" "दर्याप.त कीजिए, किसी दूसरे सेंटर में किया गया होगा।' "श्राप तो मेरे ही हल्के में हैं। यह नामुमकिन है।" "तब फोन किसने किया ?" दारोगाजी मुस्किराकर बोल उठे-"किसी मसखरे का काम मालूम होता है । इसके बाद वह जोर से हस पड़े। डिक्टेटर साहब अपने साथियों सहित बड़े लज्जित हुए । उन्होंने अपनी फूल-मालाओं पर दृष्टि डालते हुए कहा- उस बदमाश का पता लगाना चाहिए ।