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(. १३७ ) इ'स्पेक्टर से पूछा। "हजूर यह पूरा मक्कार और मरारा है।" मजिस्ट्रेट ने उससे फिर पूछा- "तुम्हें कुछ कहना है, कुछ शिकायत है " हरसरन ने एक बार मजिस्ट्रट की ओर सिर उठा कर देखा और चिल्ला कर कहा-"बुरा हो तुम्हारा !" मजिस्ट्रेट ने गंभीरता पूर्वक कुछ लिखा और उसे जेल में भेज देने की आज्ञा प्रदान की। हरसरन एक नर्क से दूसरे नर्क में गया । "टिक, टिक, टिक ! "टिक, टिक, टिक !!! काल कोठरी में पड़े २ एकाएक सुना-बगल किसी कोठरी से शब्द आ रहा है। "टिक, टिक, टिक "टिक, टिक, टिक हरसरन ने की 9 वह उठ कर बैठ गया । काल कोठरी में बन्द हुए उसे श्राज सातवाँ दिन था। इस बीच में उसे केवल एक बार मनुष्य की सूरत देखने को मिलती है जब वह शौचादि के लिये २० मिनट के लिये कोठरी से बाहर निकाला जाता है। पर मनुष्य का कण्ठ स्वर उसने सुना ही नहीं, वह ध्यान से सुनने लगा।