पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/११४

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१०५ ) बिटुआ है, पर उसके अगल बगज सिपाही क्यों हैं? ५९ क्या ? उसकी बेड़ियाँ हथकड़ियां भी नहीं छुटाई गई', और वह उधर कहाँ को जा रहा है । मैं तो यहाँ खड़ा हूँ, उसे पुकारो ! पुकारो, आवाज दो, अच्छा चलो वहीं चलें। डेढ क्या कहा ? जोर से बोलो, मैं जरा कम सुनता हूँ। बूढा अपाहिज आदमी हूँ ? सजा ! सजा होगई ! कितनी ? वर्ष की । डरो मत सच कहो, मैं घबराने वाला श्रादमी नहीं हूँ, मेरा बेटा देश के लिए जाता है तो उत्तम है, तब क्यों नहीं कहा था ? दुराशा का मन में ध्यर्थ ही उदय हुआ । यह लो उसकी मा भी आ गई । अरे ! तुम रोती हो वाह ? मेरी हिम्मत तो देखो, में बूढ़ा रोगी अपाहिज । यह रोने का मौका है ? देखो वह बेदा जा रहा है, फूलों और आशीर्वादों से लदा हुआ। जय जय कार की उद्धारक गंगा में तैरता हुआ । उसके मुह की लाली देखो, मेरे और अपनी सपदी देखो, अपने कुल और घराने के नाम को देखो और भगवान को धन्यवाद दो। हाँ भगवान को धन्यवाद दो। देखो यहाँ से वहाँ तक नर-मुण्ड का समुद्र हिलोर ले रहा है, जैसे -इन सब हिन्दू और मुसल- मानों पर मेरे बेटं ने जादु कर दिया हो हँसो, किस बाप को