पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१०१

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(६२. ) क्या है ? और उसे कुछ भी उत्तर न मिला । वह एकदम आँगन में कूद पड़ा । गृहपत्ति से पूछा "यह चिल्लाया कौन ?" गृहणी ने मर्माहत भाषा में कहा-"मेरी लड़की, वह अपने कमरे में छिपी थी। तुम लोगों के डर से हमने उसे छिपा दिया था। कोई पापी उसे सता रहा है हाय, तुम्हें भगवान का भी भय नहीं?" गृहणी ने हृदयविदीर्ण करने वाली हाय की। नायक बिजली की भाँति लपक कर वहाँ पहुँचा ! देखा एक किशोरी बालिका धरती पर बद-हवास पड़ी है ! उसके मुह में कपड़ा सा है और वस्त्र अस्त-व्यस्त हो रहे हैं ! एक डाक उसके साथ पाशविक कर्म किया चाहता है ! बालिका इस अवस्था में भी छटपटा रही है ! डाकू के सावधान होने से प्रथम ही नायक की गोली ने उसकी खोपड़ी को चकनाचूर कर दिया और वह पृथ्वी पर गिर पड़ा ! उसने बालिका के मुंह से वस्त्र खोला और सहारा देकर खड़ा किया ! गोली चलने और एक आदमी की खोपड़ी चूर-चूर होने तथा अपने ऊपर भयानक आक्रमण से बालिका विमूढ़ हो रही थी ! वह थर थर काँप रही और उसकी दृष्टि जमीन पर झुकी थी ! वह रो भी न सकती थी नायक ने धीरे से घुटने के बल बैठ कर वालिका से करुण कोमल स्वर में कहा- "बहिन, इस पतित पापी को क्षमा कर दो, यह दुष्ठ अब तो पूरा दण्ड पा चुका ?" बालिका ने साहस करके नायक की