पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१००

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I think that this is the best story of the book. डाकू घर में से माल-ला ला कर गद्दड़ बाँध-बाँध. भाई की विदाई नायक छूत पर खड़ा था। उसके एक हाथ में सर्च लाइट और दूसरे में भरा हुआ रिवालवर था। दो और रिवालवर उसकी जेबों में थे । वह प्रत्येक डाकू की गति-विधि का निरी- क्षण कर रहा था और साहसिक शब्दों में अंग्रेजी में प्रत्येक को आज्ञा दे रहा था । द्वार पर दो डाकू बन्दूक ऊची किये मुस्तैद खड़े थे । गृहपति और गृहणी बीच आँगन में चारपाई पर चुप चाप बैठे थे। उनके सिर पर पिस्तौल ताने एक डाकू खड़ा था। चार कर आँगन में ढेर कर रहे थे। सब काम चुपचाप हो रहा था बीच-बीच में बाहर के प्रहरियों की सांकेतिक सीटी, नायक अस्फुट आज्ञा और साँप की भाँति लहराती उज्ज्वल सर्च लाइट को रोशनी-वस इसी का अस्तित्व था। रात खून अँधेरी थी। घर के एक कोने से किसी बालिका के चीत्कार की ध्वनि आई और बन्द हो गई। नायक ने सांकेतिक भाषा में पूछा

  • एक सत्य घटना के आधार पर-