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मनु विषयसूची अ०११ अत्यन्त म्बट्टसडे सध्य. जन्तुओं के मूत्र पुगेप, करा, शुष्कमांस इत्यादि भक्षण पर प्रायश्चित्त १५२-१५५ 'कन्यादि के भक्षण पर प्रायश्चित्त' प्रक्षित विडालादि के उच्छिष्टादि खानेपर प्रायश्चित्त १५६-१६० धान्यादि चुगने, मनुष्यों के हरण, भक्ष्य, तृण, काष्ठ, मणिमुक्तादि धातु, कर्शस इत्यादि चुराने के प्रायश्चित्त प्रत अगम्यागमन के प्रायश्चित्त व्रतादि पतितों से मेल संघासादि के प्रायश्चित्त १७६-१८९ "पनित का ऊर्ध्वदहकृत्यादि निर्णय प्रक्षित १८२-१८८ प्रायश्चित्तीय होकर प्रायश्चित्त न करने वालों का सङ्गत्याग, बाल इत्यादि कारकों से प्रायश्चित्त करने पर भी सङ्गत्याग, सावित्रा-पतितों, अन्य कुकर्मी द्विजों, निन्दिनाजीची ब्राह्मणों, असत्यनि- ग्राहियों, व्रात्यों को यन्न कराने वालों, शरणागत के त्यागियों इत्यादिकों के प्रायश्चित्त प्रतादि कुत्ते आदि के कारखाने, अपांक्तयोजन, मरयानादि मिन्दिन यान पर सवारी करने, वेदादितके त्याग, स्मानस के घन लाप, ग्रामण को धमकाने आदि के १९९-२०५ 'ब्राह्मण को धमकाने आदि का दुप्फल पक्षिप्त २०६-२०७ बाह्मण के रक्तनिपान नान्तकर्म, अनुक्त प्रायश्चित्तों का देश कालादिधिनारपूर्वक प्रायश्चित्त कल्पना २८-२० प्रायश्चित्तार्थ वनों में या २ उपाय करने होते हैं प्राजापात्य, कृच्छ सातपन, अतिकृच्छ, तप्तकृच्छ, प्राचित ५