(८१ । [सूचना-संयोजक क्रिया-विशेषण-जब, जहां, जैसे, ज्यों, जितना, संबंध-वाचक सर्वनाम "जो" से बनते हैं और उसी के अनु- सार दो उपवाक्यों को मिलाते हैं (अं०-१११)] (३) अनुबद्ध क्रिया विशेषण वे हैं जिनका प्रयोग अव- धारण के लिए किसी भी शब्द-भेद के साथ हो सकता है; जैसे, “यह तो किसी ने धोखा ही दिया है।" "मैंने उसे देखा तक नहीं ।" "आपके आने भर की देर है ।" "लड़का भी आया है।" १८२-रूप के अनुसार क्रिया-विशेषण दो प्रकार के होते हैं-(१) मूल और (२) यौगिक । ____१८३–जो क्रिया-विशेषण किसी दूसरे शब्द से नहीं बनते, वे मूल क्रिया-विशेषण कहलाते हैं; जैसे, ठीक, दूर, अचानक, फिर, नहीं। १८४-जो क्रिया-विशेपण दूसरे शब्दों में प्रत्यय वा शब्द जोड़ने से बनते हैं, उन्हें यौगिक क्रिया-विशेषण कहते हैं । वे नीचे लिखे शब्द-भेदों से बनते हैं- (अ) संज्ञा से; जैसे, सवेरे, मन से, क्रमशः, आगे, रात को, प्रेम-पूर्वक, दिन भर, रात तक। ___(अ) सर्वनाम से; जैसे, यहाँ, वहाँ, अब, जब, जिससे, इसलिए, तिस पर । ___ (इ) विशेषण से; जैसे, धीरे, चुपके, भूले से, सहज में, पहले, ऐसे, भले, थोड़े।
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