( ७७ ) '४-कुछ धातुओं के पहले प्रेरणार्थक रूप "ला" अथवा "आ" लगाने से बनते हैं; परन्तु दूसरे प्रेरणार्थक में “वा" लगाया जाता है; जैसे-- मू० प्रे० प० प्रे .. दू० प्रे० कहना कहाना वा कहलाना कहवाना . दिखना दिखाना वा दिखलाना दिखवाना सीखना सिखाना वा सिखलाना 'सिखवाना सूखना - सुखाना वा सुखलाना सुखवाना वैठना बैठाना वा विठलाना विश्वाना (अ) "कहन" के पहले प्रेरणार्थक रूप अपूर्ण अकर्मक भी होते हैं। "कहवाना" का रूप "कहलवाना" भी होता है। - (श्रा) "बैठना" के कई प्रेरणार्थक रूप होते हैं; जैसे बैठाना, बैठालना, विठलाना, वैठवाना । १७५-कुछ धातुओं से बने हुए दोनों प्रेरणार्थक रूप एकार्थी होते हैं; जैसे- कटना-कटाना वा-कटवाना . खुलना-खुलाना वा खुलवाना ; : - . देना दिलाना वा दिलवाना : . . . . : सिलना-सिलाना वा सिलवाना, ..., १७६ अकर्मक धातुओं से नीचे लिखे नियमों के अनु- सार सकमक धातु बचते हैं- :- . - ... : . .१-धातु के आद्य स्वर को दीर्घ करने से; जैसे,... .. 'फा.६
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