पहल केवल बोली हुई भाषा का प्रचार था; पर पीछे से
विचारों को स्थायी रूप देने के लिए कई प्रकार की लिपियाँ
निकाली गई।
(२) भाषा और व्याकरण
किसी भाषा की रचना को ध्यानपूर्वक देखने से जान पड़ता है कि उसमें जितने शब्दों का उपयोग होता है, वे सभी भिन्न भिन्न प्रकार की भावनाएँ प्रकट करते हैं; और अपने उपयोग के अनुसार कोई अधिक और कोई कम आवश्यक होते हैं। फिर, एक ही भावना को कई रूपों में प्रकट करने के लिए शब्द के भी कई रूपांतर हो जाते हैं। भाषा में यह भी देखा जाता है कि कई शब्द दूसरे शब्दों से बनते हैं और उनसे एक नया ही अर्थ पाया जाता है। वाक्य में शब्दों का उपयोग किसी विशेष क्रम से होता है और उनमें रूप अथवा अर्थ के अनुसार परस्पर संबंध रहता है। जिस शास्त्र में शब्दों के शुद्ध रूप और प्रयोग के नियमों का निरूपण होता है, उसे व्याकरण कहते हैं। व्याकरण (वि+आ+करण) शब्द का अर्थ "भली भाँति समझाना" है।
(३) व्याकरण के विभाग
व्याकरण भाषा-संबंधी शास्त्र है और भाषा का मुख्य अंग
वाक्य है। वाक्य शब्दों से बनता है और शब्द बहुधा मल-ध्वनियों से। लिखी हुई भाषा में एक मूल-ध्वनि के लिए