( ६१ ) 'पाँचपचिवा दस दसर्चा छः =(छठर्वा) छठा पंद्रह = पंद्रहवीं आठ-आठवीं पचास पचासर्वां (इ) सौ से ऊपर की संख्याओं में पिछले शब्द के अंत __ में वाँ लगाते हैं; जैसे, एक सौ पाँचवाँ, दो सौ आठवाँ । १५१-आवृत्तिवाचक-विशेषण से जाना जाता है कि __उसके विशेष्य का वाच्य पदार्थ के गुना है; जैसे, दुगुना, चौगुना, दसगुना, सौगुना। (अ) पूर्णांक-बोधक विशेषण के आगे “गुना” शब्द 'लगाने से आवृत्तिवाचक विशेषण बनते हैं। "गुना" शब्द 'लगाने के पहले दो से लेकर आठ तक संख्याओं के शब्दों में आद्य स्वर का कुछ विकार होता है; जैसे- दो दुगुना वा दूना छः% छगुना तीन = तिगुना सात-सतगुना चार= चौगुना पाठ = अठगुना पाँच =पंचगुना नौ = नौगुना १५२-समदाय-वाचक विशेषणों से किसी पूर्णांक- बोधक संख्या के समुदाय का बोध होता है; जैसे, दोनों . हाथ, चारों पाँव, आठों लड़के, चालीसों चोर। . (अ) पूर्णाक-बोधक विशेषणों के आगे 'ओ' जोड़ने से समुदाय- वाचक विशेषण बनते हैं; जैसे, चार-चारों, दस-दसों, सोलह- सोलहों। छः का रूप 'छओं' होता है। . फा.५
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