पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/६२

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१४६-सौ से ऊपर की संख्या जताने के लिए एक से __ अधिक शब्दों का उपयोग किया जाता है; जैसे, १२५ = एक- सौ पच्चीस, २७५ = दो सौ पचहत्तर । (आ) अपूर्णांक-बोधक विशेषण १४७-अपूर्णांक-बोधक विशेषण से पूर्ण संख्या के किसी भाग का बोध होता है; जैसे, पाव = चौथाई भाग; पौन =. तीन भाग; सवा = एक पूर्णांक और चौथाई भाग; अढ़ाई = दो पूर्णांक और आधा। (अ) एक से अधिक संख्याओं के साथ पाव और पौन सूचित . करने के लिए पूर्णाक-बोधक शब्द के पहले क्रमश: "सवा" और "पौने" शब्दों का प्रयोग किया जाता है; जैसे, "सवा दो" = २१, "पौने तीन" %D२। - (श्रा) तीन और उससे ऊपर की संख्याओं में प्राधे की अधिकता। सूचित करने के लिए "साढ़े" का उपयोग होता है; जैसे, "साढ़े चार' = ___५%; "साढ़े दस" = १०३ । १४८-कभी कभी अपूर्णांक-बोधक संख्या आनों के हिसाब से भी सूचित की जाती है; जैसे, "इस साल चैौदह प्राने फसल हुई।" "इस व्यापार में मेरा चार आने हिस्सा है।" १४६-गणनावाचक विशेषणों के प्रयोग में नीचे लिखी विशेषताएँ हैं- ... (अ) पूर्णांक-बोधक विशेषण के साथ “एक!' लगाने से “लगभग” का अर्थ पाया जाता है; जैसे, "दस एक. आदमी", "चालीस एक गाएँ ।"