१३६-"समान" (सदृश ), "तुल्य" (बराबर ) और "योग्य" (लायक ) का प्रयोग कभी कभी संबंध-सूचक के समान होता है; जैसे, "उसका ऐन घड़े के समान वड़ा था।" "लड़का आदमी के बराबर दौड़ा।" "मेरे योग्य काम-काज लिखिएगा।" १३७-गुणवाचक विशेषण के बदले बहुधा संज्ञा का संबंध कारकं आता है; जैसे “घरू झगड़ा"= घर का झगड़ा, “जंगली जानवर" =जंगल का जानवर। ..१३८-जब गुणवाचक विशेषणों का विशेष्य लुप्त रहता है, तब उनका प्रयोग संज्ञाओं के समान होता है; जैसे,"बड़ों ने - सच कहा है।" "दीनों को मत सताओ।" "सहज में।" (३) संख्यावाचक विशेषण १३८-संख्यावाचक विशेषण के मुख्य तीन भेद हैं- (१) निश्चित संख्यावाचक, (२) अनिश्चित संख्यावाचक और ( ३) परिमाण-बोधक । (१) निश्चित संख्यावाचक विशेषण . १४०-निश्चित संख्यावाचक विशेषणों से वस्तुओं की ___ निश्चित संख्या का बोध होता है; जैसे, एक लड़का, पच्चीस . रुपये, दसवाँ भाग, दूना मोल, पाँचों इंद्रियाँ, हर आदमी। १४१-निश्चित संख्यावाचक विशेषणों के पाँच भेद हैं- (१) गणनावाचक, (२) क्रमवाचक, (३) आवृत्तिवाचक, (४) समुदाय-वाचक, और (५) प्रत्येक-बोधक ।'
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