( ५५ ) उन्हें तालाब के जैसा रूप दे देता है।" "यह आप ऐसे महात्माओं का काम है।"
(इ) "जैसा का तैसा”—यह · विशेषण-वाक्यांश "पूर्ववत्" के अर्थ में आता है; जैसे, "वे जैसे के तैसे बने रहे।"
१२६-यौगिक प्रश्न-वाचक ( सार्वनामिक ) विशेषण (कैसा और कितना) बहुधा आश्चर्य के अर्थ में आते हैं; जैसे, "मनुष्य कितना धन देगा और याचक कितना लेंगे!" "विद्या पाने पर कैसा आनंद होता है !"
१३०-परिमाणवाचक सार्वनामिक विशेषण बहुवचन में संख्यावाचक होते हैं; जैसे, "इतने गुणज्ञ और रसिक लोग एकत्र हैं।" "मेरे जितने प्रजाजन हैं उनमें से किसी को अकाल-मृत्यु नहीं आती।"
(अ) "कितने ही" वा "कितने एक" का प्रयोग "कई" के अर्थ में होता है; जैसे, "पृथ्वी के कितने ही अंश धीरे धीरे उठते हैं।" "कितने एक दिन पाछे फिर जरासंध उतनी ही सेना ले चढ़ पाया ।"
१३१-यौगिक प्रशन वाचक सार्वनामिक विशेषण कभी कभी क्रिया- विशेषण भी होते हैं; जैसे, "तू मरने से इतना क्यों डरता है ?” वैदिक लोग कितना ही अच्छा लिखें तो भी उनके अक्षर अच्छे नहीं होते।" "मुनि ऐसे क्रोधी हैं कि बिना दक्षिणा मिले शाप देने को तैयार होंगे।" "मृग-छौने कैसे निधड़क चर रहे हैं।"