( ५२ ) १२२-विशेषण के मुख्य तान भेद किये जाते हैं-(१)) सार्वनामिक, (२) गुणवाचक और (३) संख्यावाचक । (१) सार्वनामिक विशेषण १२३-पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनामों को छोड़- कर शेष सर्वनामों का प्रयोग विशेषण के समान भी होता है। जब ये शब्द अकेले आते हैं तब सर्वनाम होते हैं और जब इनके साथ संज्ञा आती है, तब ये विशेषण होते हैं; जैसे, "नौकर आया है; वह बाहर खड़ा है।" इस वाक्य में 'वह' सर्वनाम है; क्योंकि वह "नौकर" संज्ञा के बदले आया है। “वह नौकर बाहर खड़ा है"-यहाँ “वह" विशेषण है; क्योंकि “वह" "नौकर" संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित करता है; अर्थात् उसका निश्चय बताता है। इसी तरह "किसी को बुलाओ" और "किसी ब्राह्मण को बुलाओ" इन वाक्यों. में "किसी" क्रमशः सर्वनाम और विशेषण है। १२४-पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनाम ( मैं, तू. आप ) संज्ञा के साथ आकर उसकी व्याप्ति मर्यादित नहीं करते, किंतु समानाधिकरण होते हैं; जैसे, "मैं मोहनलाल इक- रार करता हूँ।" इस वाक्य में “मैं” शब्द विशेषण के समान "मोहनलाल” संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित नहीं करता, किंतु यहाँ मोहनलाल शब्द “मैं” के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए आया है। इसलिए यहाँ “मैं” और “मोहनलाल" समानाधिकरण शब्द हैं, विशेषण और विशेष्य नहीं हैं। इसी तरह "लड़का
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