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(इ) अपने कुटुंब, देश अथवा मनुष्य-जाति के संबंध में; जैसे, "हम वनवासियों ने ऐसे भूषण आगे कभी न देखे थे।" "हवा के बिना हम पल भर भी नहीं जी सकते।"
(ई) एक मनुष्य भी अपने संबंध में 'मैं' के बदले 'हम का प्रयोग करता है; जैसे, "हम गाँव को जाते हैं।" "हमने काम कर लिया।"
९७ -- "तू" -- मध्यमपुरुष (एकवचन)।
"तू" शब्द से निरादर वा हलकापन प्रकट होता है; इसलिए हिंदी में बहुधा एक व्यक्ति के लिए भी "तुम" का प्रयोग करते हैं। "तू" का प्रयोग प्रायः नीचे लिखे अर्थो में होता है --
(अ) ईश्वर के लिए; जैसे, "देव, तू दयालु, दीन हौं, तू दानी, हौं भिखारी।" "दीनबंधु,(तू) मुझ डूबते हुए को बचा।"
(आ) अवस्था और अधिकार में अपने से छोटे के लिए, (परिचय में); जैसे, "रानी -- मालती, यह रक्षाबंधन तू सम्हाल के अपने पास रख।" "दुष्यंत -- (द्वारपाल से) पर्व- तायन, तू अपने काम में असावधानी मत करियो।" "एक तपस्विनी -- अरे हठीले बालक, तू इस वन के पशुओं को क्यों सताता है?"
(इ) परम मित्र के लिए; जैसे, "अनसूया -- सखी, तू क्या कहती है?" "दुष्यंत -- सखा, तुझसे भी माता पुत्र कहकर बोली हैं।"