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पहला खंड विकारी शब्द पहला अध्याय संज्ञा ___७४-संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते हैं जिससे सृष्टि की किसी वस्तु* का नाम सूचित हो; जैसे, घर, आकाश, गंगा, देवता, अक्षर, बल, जादू । (क) 'संज्ञा' शब्द का उपयोग वस्तु के लिए नहीं होता, किंतु. वस्तु के नाम के लिए होता है। जिस काग़ज़ पर यह पुस्तक छपी है; वह कागज संज्ञा नहीं है, किंतु वस्तु है । पर 'कागज' शब्द, जिसके द्वारा , हम उस पदार्थ का नाम सूचित करते हैं, संज्ञा है। - ७५-संज्ञा दो प्रकार की होती है-(१) पदार्थवाचक, और ( २ ) भाववाचक। ७६-जिस संज्ञा से किसी पदार्थ + वा पदार्थो के समूह का बोध होता है, उसे पदार्थवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे, राम, राजा, घोड़ा, कागज, काशी, सभा, भाड़। .
- प्राणी, पदार्थ वा उनका धर्म ।
+सजीव वा निर्जीव पदार्थ ।