( २२६ ) (ख) जिससे सब एक-संग क्षेम-कुशल से कुटी में पहुंचे। [क्रिया-विशेषण-उपवाक्य ( क ) का।] (१)जो श्रादमी जिस समाज का है, उसके व्यवहारों का कुछ न कुछ असर उसके द्वारा समाज पर जरूर पड़ता है। (मिश्र वाक्य) (क) उसके व्यवहारों का. कुछ न कुछ असर उसके द्वारा समाज पर जरूर पढ़ता है। (मुख्य उपवाक्य) (ख) जो श्रादमी जिस समाज का है। [विशेषण-उपवाक्य (क) का।] (५) सुना है, इस बार दैत्यों में भी बड़ा उत्साह फैल रहा है। (मिन वाक्य) (क ) सुना है। (मुख्य उपवाक्य) (ख) इस बार दैत्यों में भी बड़ा उत्साह फैल रहा है। [संज्ञा- . सपवाक्य (क) का कर्म।] संयुक्त वाक्य ४३४-संयुक्त वाक्य में एक से अधिक प्रधान उपवाक्य रहते हैं और इन प्रधान उपवाक्यों के साथ बहुधा इनके आश्रित उपवाक्य भी रहते हैं। ४३५---संयुक्त वाक्यों के समानाधिकरण उपवाक्यों में चार प्रकार का संबंध पाया जाता है-संयोजक, विभाजक, विरोध-- दर्शक और परिणामबोधक । यह संबंध बहुधा समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययों के द्वारा सूचित होता है; जैसे- (१) संयोजक-मैं आगे बढ़ गया, और वह पीछे रह गया। विद्या. से ज्ञान चढ़ता है, विचार-शक्ति प्राप्त होती है और मान मिलता है....
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