चाहे-कैसा, कितना ) कितना-क्यों तो भी, पर जो, जिससे, ताकि ४३३---अब कुछ मिश्र वाक्यों का पृथक्करण बताया जाता है। इसमें मुख्य तथा आश्रित उपवाक्यों का परस्पर संबंध बताकर साधारण वाक्यों के समान उनका पृथक्करण, किया जाता है.- (१) बड़े संतोष की बात है कि ऐसे सहृदय सज्जनों के सामने. हमें अभिनय दिखाने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह समूचा वाक्य मिश्र वाक्य है। इसमें "बड़े संतोष की बात है" मुख्य उपवाक्य है और दूसरा उपवाक्य आश्रित. संज्ञा-उपवाक्य है। यह उपवाक्य मुख्य उपवाक्य की "बात" संज्ञा का समानाधिकरण है। इन दोनों उपवाक्यों का पृथक- रण अलग अलग साधारण वाक्यों के समान करना चाहिए। (२) स्वामी, यहाँ कौन तुम्हारा बैरी है जिसके बधने को कोप कर कृपाण हाथ में ली है। (मिश्र वाक्य ) (क) स्वामी, यहाँ कौन तुम्हारा बैरी है। (मुख्य उपवाक्य) (ख) जिसके बधने को कोप कर कृपाण हाथ में ली है। [विशे- पण-उपवाक्य ( क ) का।], (३) वेग चली आ जिससे सब एक-संग क्षेम-कुशल से कुटी में: पहुँचे। (मिश्र वाक्य) (क) वेग चली आ । ( मुख्य उपवाक्य)
पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२३३
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( २२८ )