( २२१ ) सकते हैं; जैसे, इसके बाद उसने तुरंत घर के खामी से कहकर सड़के को पढ़ने के लिए मदरसे को भेजा।] ४१४-अर्थ के अनुसार विधेय-वर्धक के ( क्रियाविशेषण के समान ) नीचे लिखे भेद होते हैं- (१) कालवाचक-मैं कल आया। वह दो महीने भीमार रहा । उसने बार बार यह कहा। (२) स्थानवाचक--एंजाब में हाथियों का वन नहीं है। (३) रीतिवाचक-मोटी लकड़ी बड़ा बोझ अच्छी तरह सँभालती है। मंत्री के द्वारा राजा से भेंट हुई। (४) परिमाणवाचक--लड़का बहुत रोता है । मैं दस मील चला। [ सूचना नहीं (न, मत ) को विधेय-विस्तारक न मानकर साधारण विधेय का एक अंग मानना उचित है।] (५) कार्यकारणवाचक-तुम्हारे आने से मेरा काम सफल होगा । पीने का पानी लाओ। ४१५-पृथकरण के कुछ उदाहरण- (१) वह आदमी पागल हो गया । (२) इसमें वह बेचारा क्या कर सकता था ! (३) एक सेर घी बस होगा। (४) खेत का खेत सूख गया । (५) यहाँ आये मुझे दो वर्ष हो गये। (६) राजमंदिर .. से बीस फुट की दूरी पर चारों तरफ दो फुट ऊंची दीवार है। (.) दुर्गध के मारे वहाँ बैठा नहीं जाता था। (८) यह अपमान भला किससे सहा जायगा ? (६) नेपालवाले बहुत दिनों से अपना राज्य भड़ाते चले पाते थे।
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