... ४०३-वाक्य के साधारण · उद्देश्य में विशेषणादि जोड़- कर उसका विस्तार करते हैं। उद्देश्य की संज्ञा का अर्थ नीचे लिखे शब्दों के द्वारा बढ़ाया जा सकता है- . (क ) विशेषण-अच्छा लड़का माता पिता की आज्ञा मानता है। लाखों आदमी हैजे से मर जाते हैं। . . . (ख ) संबंधकारक-दर्शकों की भीड़ बढ़ गई। इस द्वीप की स्त्रियाँ बड़ी चंचल होती हैं। ... . . (ग) समानाधिकरण शब्द-परमहंस कृष्णस्वामी काशी को गये । उनके पिता जयसिंह यह बात नहीं चाहते थे। . (घ ) वाक्यांश दिन का थका हुआ आदमी रात को खूब सोया। काम सीखा हश्रा नौकर कठिनाई से मिलेगा। . . [सूचना-एक से अधिक उद्देश्य-वर्द्धको. का उपयोग एक साथ हो सकता है; जैसे, दशरथ के.ज्येष्ठ पुत्र रामचंद्रवन को गये । ] . ..४०४-साधारण विधेय. में केवल एक समापिका क्रिया रहती है, और वह किसी भी वाच्य, अर्थ, काल, पुरुष, लिंग, वचन और प्रयोग में आ सकती है। क्रिया शब्द में संयुक्त क्रिया का भी समावेश होता है। उदा०-लड़का जाता है। पत्थर फेंका जायगा। धीरे धीरे उजेला होने लगा। . (क) होना, बनना, दिखना, निकलना, कहलाना, श्रादि अपूर्ण __ अकर्मक क्रियाओं की .अर्थ-पूर्ति के लिए संज्ञा, विशेषण अथवा' और कोई गुसवाचक शब्द लंगाया जाता है; जैसे, वह श्रादमी पागल है।
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