, (२१४ ) १९५७-क्रम-संख्यावाचक विशेषण,विशेष्य संवत्',पुलिंग, एकवचन । वि० (विक्रमी )-विशेषण, गुणवाचक, विशेष्य 'संवत्', पुल्लिंग, एकवचन । (४) किसी की निंदा न करनी चाहिए। . करनी चाहिए-आवश्यकता-बोधक संयुक्त क्रिया, सकर्मक, कर्तृ. “वाच्य, निश्चयार्थ, संभाव्य भविष्यत्काल, (अर्थ सामान्य वर्तमान ), मन्यपुरुष, खोलिंग, एकवचन, कर्ता मनुष्य को', (लुप्त), कर्म निंदा, · कर्मणिप्रयोग। (५) उस समय एक बड़ी भयानक आँधी आई। उस-पार्वनामिक निश्चयवाचक विशेषण, विशेष्य समय, पुल्लिंग, एकवचन । समय -अधिकरण कारक, विभक्ति लुप्त है। बड़ी-परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य . 'भयानक' विशे- • पण । मूल में प्राकारांत विशेषण होने के कारण विकृत रूप (स्त्रीलिंग, एकवचन)। दूसरा परिच्छेद वाक्य-पृथक्करण वाक्यों के भेद : ३६६-वाक्य-पृथक्करण के द्वारा शब्दों तथा वाक्यों का परस्पर संबंध जाना जाता है और वाक्यार्थ के स्पष्टीकरण में सहायता मिलती है। ४००-रचना के अनुसार वाक्य तीन प्रकार के होते हैं। (१) साधारण, (२) मिश्र और (३) संयुक्त ।
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