(२०३ ) (१) विशेषणपूर्वपद-जिसमें प्रथम पद विशेषण हो । संस्कृत उदाहरण-पीतांबर, नीलकमल, सद्गुण । हिंदी उदाहरण-नीलगाय, कालीमिर्च, मँझधार । (२) विशेषणोत्तरपद-जिसमें दूसरा पद विशेषण हो। संस्कृत उदा०-देशांतर, पुरुषोत्तम, नराधम, मुनिवर । (३) विशेषणोभयपद--जिसमें दोनों पद विशेषण होते हैं। संस्कृत उदा०-नीलपीत, शीतोष्ण, श्यामसुंदर । हिंदी उदा०-लालपीला, भलाबुरा, ऊँचनीच, खटमिट्ठा। ३७२----उपमावाचक कर्मधारय के दो भेद हैं---- ... (१) उपमान-पूर्वपद-जिस वस्तु से उपमा देते हैं, उसका वाचक शब्द जब समास के आरंभ में आता है, तब उसे उपमान-पूर्वपद समास कहते हैं। उदा०-चंद्रमुख (चंद्र सरीखा मुख), घनश्याम (घन सरीखा श्याम), वज्रदेह, प्राणप्रिय । (२) उपमानोत्तरपद---जिसमें दूसरा पद उपमान होता है; जैसे, चरणकमल, राजर्षि, नरसिंह। ३७३-जिस कर्मधारय समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है और जिससे समुदाय (समाहार ) का बोध होता है, उसे द्विगु कहते हैं। __संस्कृत उदा० -त्रिभुवन ( तीनों भुवनों का समाहार ), त्रैलोक्य ( तीनों लोकों का समाहार ), षट्पदी (छः पदों का समुदाय ), पंचवटी, नवग्रह। हिंदी उदा-पंसेरी, दोपहर, चौमासा, सतसई ।
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