पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१९९

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( १८४ ) ( २ ) हिंदी उपसर्ग ये उपसर्ग बहुधा संस्कृत उपसर्गो के अपभ्रंश हैं और विशेष कर तद्भव शब्दों के पूर्व आते हैं। अ-अभाव, निषेध; उदा०-अजान, अचेत, अलग, अबेर । अप०-संस्कृत में स्वरादि शब्दों के पहले के स्थान में अन् हो जाता है; परंतु हिंदी में अन व्यंजनादि शब्दों के पूर्व आता है। जैसे, अनमोल, अनबन, अनभल, अनगिनत । औ ( सं०-अव )-हीन, निषेध; उदा०-ौगुन, औघट । • नि (सं०-निर् )-रहित; उदा०-निकम्मा, निडर । सु (सं०-सु)-अच्छा; उदा०-सुडौल, सुजान, सपूत । (३) उदू उपसर्ग ना-प्रभाव (सं०-न); उदा०-नाराज़, नापसंद, नालायक । ब-ओर, में, अनुसार; उदा०-बनाम, ब-इजलास, बदस्तूर । वा-साध; उदा०-बाज़ाबता, बाकायदा, बातमीज़ । बे-बिना; उदा०–बेचारा-(हिं -बिचारा), बेईमान, बेतरह । ( यह उपसर्ग बहुधा हिंदी शब्दों में भी लगाया जाता है, जैसे, बेचैन, बेजोड़, बेसुर। तीसरा अध्याय प्रत्यय ३५५-यहाँ हिंदी प्रत्ययों से बने हुए कृदंत और तद्धितों __ का विचार किया जायगा।