. ( १८८ ) ३४३-शक्तिबोधक क्रिया "सकना” के योग से बनती है; जैसे, खा सकना, मार सकना, दौड़ सकना, हो सकना । ३४४-पूर्णतावोधक क्रिया "चुकना" क्रिया के योग से बनती है; जैसे, खा चुकना, पढ़ चुकना, दौड़ चुकना । (५) संज्ञा या विशेषण के मेल से बनी हुई ३४५--संज्ञा ( वा विशेषण ) के साथ क्रिया जोड़ने से जो संयुक्त क्रिया बनती है, उसे नामबोधक क्रिया कहते हैं; ___ जैसे. भस्म होना, भस्म करना, स्वीकार होना, स्वीकार करना । ३४६-नामबोधक संयुक्त क्रियाओं में “करना”, “होना" और “देना” क्रियाएँ आती हैं। “करना” और “होना" के साथ बहुधा संस्कृत की क्रियार्थक संज्ञाएँ और “देना" के साथ हिंदी की भाववाचक संज्ञाएँ आती हैं; जैसे, होना स्वीकार होना, नाश होना, स्मरण होना, कंठ होना । करना स्वीकार करना, अंगीकार करना, नाश करना, प्रारंभ करना । देना-दिखाई देना, सुनाई देना, पकड़ाई देना, छुलाई देना। (६) पुनरुक्त संयुक्त क्रियाएँ । ३४७-जब दो समान अर्थवाली वा समान ध्वनिवाली 'क्रियाओं का संयोग होता है, तब उन्हें पुनरुक्त संयुक्त क्रियाएँ कहते हैं; जैसे, पढ़ना-लिखना, करना-धरना, समझना-बूझना ।
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